Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 46
________________ यह डा० के लिखे बिना भी जानी जा सकती है। कम भोजन __ करने से स्वास्थ्य के हानि की बिल्कुल सम्भावना नहीं। जहाँ तक हो सके भोजन की मात्रा कम ही करनी चाहिए। ___ जैसा ऊपर कहा जा चुका है भोजन को खूब कुचलने की आवश्यकता है। ऐसा करने से हमें थोड़ी खूरा से भी सत्व मिल सकता है जो अत्यन्त ही लाभप्रद है। अनुभवो लोगों का कहना है कि जो आदमी पच जाने योग्य भोजन करता है, उसको अच्छी तरह चबाता है और आवश्यकता से अधिक नहीं खाता उसका पाखाना कड़ा, चिकना, थोड़ा काले रंग का और दुर्गन्ध रहित होता है । जिसकी टट्टी इस प्रकार खुलासा न हो तो उसे समझ लेना चाहिए कि वह अधिक भोजन करता है और उसे अच्छी तरह कुचल कर नहीं खाता है। इस तरह मनुष्य को अपनी टट्टी से अधिक और कम खाने की बात मालूम हो सकती है । स्वप्न देखना, नींद का आना और जबान पर मल जमा रहना अधिक भोजन करने की पहचान है, और यदि रात में उसको बार बार पेशाब करना पड़े, तो उसे समझना चाहिये कि उसने अधिक रसदार चीजों को खा लिया है। ऐसा करने से प्रत्येक मनुष्य अपनी खराक की उचित मात्रा पर पहुँच सकता है । बहुतों को खट्टी डकार आती है यह भोजन न पचने को पहचान है। अधिक खाने से बहुतों के पेट में वायु विकार पैदा हो जाता है । इसका मुख्य कारण यह है कि हम लोग अपने पेट को पाखाना बना लिए हैं, जिसे हर जगह लिए फिरते हैं। जब हम इन बातों पर विचार करते हैं तो अपने व्यक्तित्व पर हमें घृणा होती है। अगर हम लोग अधिक खाने के पाप से बचना चाहते हैं, तो हमें प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि हम किसी भी दावत में भाग न लें। हमारे यहाँ जब कोई मिहमान आ जाय तो उन्हें स्वास्थ्य के नियमों को ध्यान में रखते हुये लिखना चाहिये ! हम

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