Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 41
________________ मसाला खाने से अपने युवाकाल ही में मर गया । अतः इसका परित्याग सर्वथा आवश्यक है । मसाले के विषय में जो कुछ कहा गया है, वही नमक के विषय में भी कहा जा सकता है। कितने ही इस बात को सुनकर चौंक पड़गे, लेकिन यह एक अनुभव सिद्ध बात है । इङ्गलैंड में एक स्कूल है, जिसका यह मत है कि नमक मसाले से हानिकर है। जो शाक हमलोग खाते हैं, उसमें आवश्यकतानुसार नमक का हिल्ला मौजूद है, अतः ऊपर से नमक मिलाने की कोई आवश्यकता नहीं । आवश्यकता से अधिक नमक हमारे शरीर के पसीने द्वारा या और किसी दूसरे तरीके से बाहर निकल आता है प्रकृति ने आवश्यकतानुसार सभी खाद्य पदार्थो में नमक का हिम्सा छोड़ रखा है एक लेखक का यह कहना है कि नमक खून को विषैला बना देता है वह यह भी कहता है कि जो लोग बिल'ल नहीं पाते, उनका खून इतना स्वच्छ रहता है कि के को भी प्रभाव उत्तर कुछ नहीं पड़ता TAL" हम नहीं कह सकते कि यह कहाँ तक सच है; लेकिन अपने निजी अनुभव से यह कह सकता हूँ कि दमा जैसे बहुत से रोग नमक छोड़ देते. से शीघ्र आराम हो जाते है । दूसरी बात यह कि इसके छोड़ देने से किसी को कुछ हानि होते नहीं देखी गयो, बल्कि उन्हें कुछ लाभ ही होता है। मैंने स्वयं दो वर्ष से नमक छोड़ दिया है, और उसका परित्याग मुझे जरा भी नहीं अखरता; बल्कि कुछ अंश में मुझे लाभ ही हुआ है । अब मुझे पहले जैसा बार-बार पानी नहीं पीना पड़ता । मेरे नमक छोड़ने का कारण बड़ा ही अद्भुत है, अपनी स्त्री के रोग के कारण मुझे ऐसा करना पड़ा और वह इसके बाद अधिक बीमार न पड़ो; बल्कि उसी अवस्था में रही । यह मेरा विश्वास है कि यदि रोगी ने स्वयं इसे छोड़ दिया होता, तो उसे पूरा लाभ अवश्य होता । जो नमक छोड़ेंगे उन्हें दाल और COMPAN

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