________________
स्वास्थ्य पर निर्भर है। डाक्टरों ने इसकी जाँच की है कि जो मनुष्य रोगी गाय का दूध पीता है उसे गाय के रोग की मृत लग जाती है, और फलतः वह भी रोग ग्रस्त हो जाता है। स्वस्थ गाय कठिनता से मिलती है, अतः शुद्ध दूध का भी मिलना कठिन है। सब लोग जानते हैं कि जो बच्चा रोगी. माँ का दूध पीता है उसे भी माँ का रोग हो जाता है। साथ ही यदि बच्चा बीमार पड़ता है तो उसके रोग की औषधि उसकी माँ को इसलिए दी जाती है कि उसका दूध पीने से औषधि का प्रभाव बच्चे पर पड़ेगा । ठीक इसी तरह जैसा गाय का स्वास्थ्य होगा-उसका दूध पीने वाले का भी स्वास्थ्य वैसा ही होगा। अब सोचना चाहिए कि जब दूध को इतने हानि के साथ पिया जाता है तो क्या वह सर्वथा त्याज्य नहीं है ? खासकर ऐसी अवस्था में जब कि हमें उससे भी अधिक पोषक पदार्थ सुलभ हैं। जैतून का तेल और मीठे बादाम में भी वही गुण हैं जो दूध में। बादाम को पहले पानी में उबाल लेना चाहिए। उसका छिलका छुड़ाकर तथा उसे खूब महीन पीस कर पानी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए। इस तरह यह एक अच्छी पेय तैयार हो जाती है, जिसमें दूध के सभी गुण मौजूद रहते हैं, और यह उन दोषों से रहित होता है।
अच्छा, अब इसके प्राकृतिक नियमों की ओर ध्यान दीजिये। बछड़ा तभी तक दूध पीता है जब तक कि उसके दाँत नहीं निकल आते । ज्योंही उसके दाँत निकल आते हैं त्योंही वह खाने लगता है। प्रकृति ने मनुष्य को भी ऐसा ही बनाया है । बाल्यकाल बोत जाने पर हम दूध पीते रहे ऐसा प्रकृति नहीं चाहती। हमें फल, बादाम, रोटी, सेव वगैरह पर ही अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए । जब दाँत निकल आवे तब दूध को छोड़ देने से, कितना धन और समय का बचाव होगा, इस पर विचार करने का समय नहीं है। सब लोग इसका विचार स्वयं कर सकते हैं। दूध की