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सकते हैं या नहीं। हम केवल यह विचार कर रहे हैं कि हमें क्या करना चाहिए ।
हम लोग केवल इस बात का तर्क कर रहे हैं. कि कौन-सा पदार्थ हमारा आदर्श भोजन हो सकता है ऐसा कर जब हम यह कहते हैं कि फल आदर्श भोजन है, तो हम लोग सर्वसाधारण से यह आशा नहीं करते कि वे केवल फल ही खाने लगेंगे । कहने का केवल यही अभिप्राय है कि यदि वे फल खायें तो यह उनका सबसे पुष्टिकारक एवं आदर्श भोजन होगा। इंगलैण्ड में बहुत से ऐसे आदमी मौजूद हैं जो केवल फलाहार करते हैं, और अपने अनु भव को अंकित किये हुये हैं । वे ऐसे मनुष्य हैं जो धर्म के नाम पर नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए ऐसा करते हैं। जर्मनी के एक जुस्ट नामक डाक्टर ने इस विषय पर एक बहुत बड़ी पस्तक लिखी है, और उसमें अनेक दलीलों को पेश करते हुए फलाहार के महत्व को दर्शाया है । उसने बहुत से रोगियों को फल तथा वच्छ वायु का सेवन करा कर आराम किया है । वह नहाँ तक कहता है कि प्रत्येक देश के मनुष्य अपने देश के फलों में अपने लिए पोषक पदार्थ पा सकते हैं । इस विषय में यदि मैं स्वयं अपना निजी अनुभव लिखूँ, तो कोई अत्युक्ति न होगी । गत छः मास से मैं फल खाकर रहता आ रहा हूँ । यहाँ तक कि दूध और मक्खन का भी परित्याग कर दिया है । मेरा मुख्य भोजन केला, चीना बादाम, खजूर, जैतून का तेल और कुछ खट्टे फल जैसे नीबू वगैरह हैं। मैं नहीं कह सकता कि मेरा यह प्रयोग कहाँ तक सफल हुआ है; लेकिन केवल छः महीने का समय किसी मुख्य उद्देश्य पर पहुँचने के लिए बहुत कम है । इतना अवश्य है कि मैं इन छः महीनों के बीच बिल्कुल नीरोग रहा हूँ जब कि दूसरे रोग प्रसित थे। इस समय मेरी शारीरिक और मानसिक शक्ति पहले की अपेक्षा बढ़ी हुई है। मैं बड़े-बड़े बोझों का भार नहीं ले सकता; लेकिन मैं कड़े
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