Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 26
________________ भोजन प्राप्ति के लिए हमें तरह तरह की कठिनाइयाँ, एवं दुःखों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह मानी हुई बात है कि ९९ प्रतिशत मनुष्य केवल स्वाद के लिए खाते हैं और वे वैसे स्वादयुक्त भोजन के अन्तिम परिणाम को नहीं सोचते ! कुछ लोग पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए औषधियों का भी सेवन करते हैं, ताकि वे अधिक मात्रा में खा सकें। कुछ ल ग तो इतना अधिक भोजन कर लेते हैं कि उल्टी तक करने लग जाते हैं और फिर भी उसी प्रकार का भोजन करते हैं। कुछ इतना अधिक खा लेते हैं कि दो-तीन दिन तक फिर भोजन नहीं करते। कभीकभी यह भी सुनने में आता है कि कितनों की मृत्यु अधिक भोजन कर लेने से वई है। मैं अपने निजी अनुभव की बात कहता हूँ कि जब कभी मुझे अपने पिछले दिनों की बात याद आती है तो मैं हल पड़ता हूँ और लज्जित हो जाता हूँ। उन दिनों मैं सुबह चाय पीता था, दो-तीन घण्टे बाद जलपान और एक बजे दिन को . भोजन करता था। फिर तीन बजे चाय पीता था र ७-८ बजे के बीच रात को भोजन करता था। उन दिनों की अवस्था दयनीय थी। मैं काफी मोटा था, फिर भी औषधियों की बोतलें पास ही रहती थीं। अधिक खाने के लिए मैं सदा पचानेवाली औपधि का सेवन करता था और पुष्टकारक औषधि भी खाता था। लेकिन उन दिनों आज के तिहाई भी काम करने की शक्ति और साहस नहीं था। यद्यपि वे मेरे युवाकाल के दिन थे। ऐसा जीवन, सचमुच दयनीय ही नहीं बल्कि विचार किया जाय तो पापमय तथा घृणित हैं। मनुष्य केवल भोजन करने ही के लिए नहीं पैदा हुआ है और न उसे केवल भोजन के लिए ही जीवित रहना चाहिए। उसका प्रधान कर्तव्य तो अपने बनाने वाले ( ईश्वर ) को पहचानना तथा उसकी सेवा करना है। लेकिन चूकि ये काम इस

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