Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

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Page 29
________________ अनुभव होगा, कि इस संसार में भूख से पीड़ित होकर अधिक लोग नहीं मरते। चूंकि प्रकृति सभी जीवों के लिए काफी भोजन उत्पन्न करती है, इसलिए यदि हम अपने हिस्से से अधिक भोजन करते हैं तो ऐसा कर दूसरों को भोजन से वञ्चित करते हैं। क्या यह सच नहीं कि बादशाह एवं धनियों के भोजनालय में उनकी आवश्यकता से कहीं अधिक भोजन तैयार किया जाता है, और ऐसा कर बहुतेरे गरीबों का भोजन छीन लिया जाता है। अब यदि गरीब भूखों मरते हैं, तो इसमें आश्चर्य ही क्या है ? इसी प्रकार हम लोग भी अधिक भोजन करके दूसरों का भाग छिनते हैं एवं भोजन भी स्वादिष्ट ही करते हैं। ऐसी अवस्था में कोई कारण नहीं कि हमारा स्वास्थ्य खराब न हो। इसके पहले कि हम लोग इस बात का निर्णय करें कि किस किस्म का भोजन हमारा आदर्श भोजन हो सकता है। हमें यह विचार कर लेना चाहिये कि किस प्रकार का भोजन हमारे स्वास्थ्य के अनुकूल है और किस प्रकार का प्रतिकूल । “भोजन" शब्द के अन्तर्गत वे सभी चीजें हैं जो मुँह में खाये जाते हैं जैसे कि शराब, भंग, अफीम, तम्बाकू, चाय, कहवा, कोकीन, मसाले, चटनी इत्यादि । कुछ निजी एवं कुछ दूसरों के अनुभव से मेरा विश्वास है कि ये सभी वस्तुएँ हानिकारक हैं। शराब, भंग, अफीम दुनिया के हरएक धर्म से बहिष्कृत हो गये हैं। यद्यपि उससे परहेज करने वालों की संख्या अभी कम है । शराब ने तो कितने घरों का नाश कर दिया है शराबी की अक्ल मारी जाती है, यहाँ तक कि वह स्त्री और कन्या में भी भेद नहीं कर पाता। उसका जीवन भारस्वरूप हो जाता है। शराबी बहुधा कीचड़ों की मोरियों में पाये जाते हैं । बुद्धिमान से बुद्धिमान आदमी शराब के नशे में बेहोश हो जाता है। उसका दिमाग कमजोर हो जाता है और वह कोई काम नहीं कर सकता। कुछ

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