Book Title: Swasthya Sadhan
Author(s): Mohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
Publisher: Gandhi Granthagar Banaras

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ सा है, क्योंकि इसमें क्षार, घास के टुकड़े और अन्य सड़ी गली चीजें मिली होती हैं। वर्षा का पानी सबसे स्वच्छ होता है, लेकिन हमारे पास पहुँचते-पहुँचते वह भी वायु मण्डल में उड़ते हुए गन्दे पदार्थों के मिल जाने से गन्दा हो जाता है। __अधिकांश मनुष्य इस बात को नहीं जानते हैं कि पानी दो प्रकार का होता है --हल्का और भारी । भारी पानी वह है जिसमें एक प्रकार का नमक मिला रहता है। इस कारण उस पानी से साबुन में फेन नहीं उठता और भोजन उसमें अच्छी तरह नहीं पकता। इसका स्वाद खारा होता है, हल्का पानी मीठा और स्वादहीन होता है कुछ लोगों की धारणा है कि हल्के पानी की अपेक्षा भारी पानी, नमक का मिश्रण होने के कारण, लाभदायक होता है । लेकिन अनुभव से यह पता लगा है कि भारी पानी पाचनशक्ति को कम करता है । हल्का पानी पाचनशक्ति को बढ़ता है वर्षा का पानी हल्के पानी से भी अच्छा होता है। अतः पीने के लिये सर्वोत्तम है । भारी पानी यदि डेढ़ घन्टे तक उबाला जाय तो वह भी हल्का हो जाता है और तब इसे छानकर पी सकते हैं। ___यह प्रश्न हमेशा पूछा जाता है कि मनुष्य को कब और कितना पानी पीना चाहिये ? इसका उचित उत्तर यही है कि जब प्यास लगे तब पानी पीना चाहिये । भोजन के मध्य में भी पानी पिया जा सकता है या भोजन के बाद शीघ्र ही पीना चाहिये । पानी के सहारे भोजन नहीं निगलना चाहिये यदि . भोजन स्वयं नीचे नहीं उतरता हो, तो यह समझना चाहिये कि या तो वह अच्छी तरह मुँह से कुचला नहीं गया है, या पेट इसे चाहता ही नहीं है। साधारणतः पानी पीने की आवश्यकता नहीं है। जैसे कि पहले बतलाया जा चुका है कि हमारे भोजन में पानी का अंश

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117