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होता रहता है। रक्त ही के संसार से नाड़ी में धड़कन पैदा होती है। स्वस्थ मनुष्य की नाड़ी में एक मिनट में ७५ धड़कनें होती हैं। बच्चों की अपेक्षा बूढ़ों की नाड़ी सुस्त चलती हैं।
वायु द्वारा रक्त साफ होता है। जब रक्त एक बार शरीर का पूर्ण चक्कर लगाकर फेफड़ों में लौटता है तो वह दूषित तथा जहरीला हो जाता है । आकस्जिन जो वायु में मिलता रहता है, खून को साफ करता है। जब यह साँस द्वारा हमारे फेफड़ों में जाता है तो नाइट्रोजन विषलो वस्तु को लेकर साँस द्वारा बाहर निकल जाता है । यह क्रिया बराबर होती रहती है।
चूंकि शरीर के लिए वायु अत्यन्त आवश्यकीय वस्तु है, अतः अगले पृष्ठों में हम इसकी विवेचना करेंगे।
३-वायु
जीवन के लिये सबसे अावश्यकीय वस्तु हवा, जल और भोजन है । लेकिन हव सबसे अधिक आवश्यक है। इसी कारण ईश्वर की कृपा से यह हमें अधिक मात्रा में मिल जाती है और इसके लिए हमें कुछ नहीं देना पड़ता । आधुनिक सभ्यता ने स्वच्छ हवा को कुछ अंशों में अप्राप्य कर दिया है जिसकी प्राप्ति के लिए हमें पैसा लगाकर बाहर जाना पड़ता है। बम्बई के रहने वाले आयेरन या उससे भी अच्छा मालाबार की पहाड़ियों में जाकर स्वास्थ्य लाभ करते हैं, लेकिन सभी इन स्थानों पर बिना पैसा खर्च किये नहीं जा सकते । इसलिए आजकल यह कहना अनुचित ही होगा कि हम लोग स्वच्छ हवा मुफ्त में ही पाते हैं। .