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( १२ ) लड़की (७) यशोदा ढुंढणीनें मोहनी और सुंदरी लड़की सात वर्ष की (८) हीरा ढुंढणी ने छी वर्ष की पार्वती नामा लड़की (९) अमरसिंहकेसाधुने रामचंदनामालड़काफीरोजपुरमें लियाजिस के बदले में उसके बाप को २५०) रुपये दिये (१०) बालकराम ने आठ वर्ष का लालचंद नामा लड़का (११) बलदेव ने पांच वर्ष का लड़का (१२) रूपचंद ने आठ वर्ष का पालीनामा डकौत का लड़का (१३) भावनगर में भीमजी रिखके शिष्य चूनीलाल तिस के शिष्य उमेदचंद ने एक दरजी का लडका लियाथा जिसकी माता ने श्रीजिनमंदिर में आके अपना दुःख जाहिर किया था आखीर में अदालत की मारफत वो लड़का तिसकी माताको सपूर्द किया गया था (१४) इत्यादि सैंकड़ों ढूंढियों ने ऐसे काम किये हैं भोर सैंकड़ों करते हैं। इस वास्ते संवेगी जैन मुनियोंको कलंक देने वास्तेजेठमल्ल ने जो असत्य लेख लिखा है सो अपने हाथ से अपना मुख स्याही से उज्वल किया है !
तीसरे प्रश्नका उत्तर-पंचवस्तुक नामा शास्त्र में लिखाहै कि दीक्षा वक्त मुल का नाम फिराके दूसरा अच्छा नाम रखना।
*संवत् १९५१ चैत्रवदि ११ सहस्पतिवार के रोज जब सोमलाल को यवराज पदवी दी तब सवत् १९५२ चैत्र सदि १ को रोज लधिहाना नगर में ढूंढियों ने ६२ वोल बनाये हैं उन में ३५ में वोन्त में लिखा है कि "माझा बिना चेन्ना चेली करना नही वारसी को खबर कर देनी बिना खबर महना नहीं तथा दाम दिवा के तथा बेपरतीते को करना नहीं दीक्षा महोत्सव में सलाह देनी नहीं दीक्षा वाले को ऊठ, बैठ, खाना दाना देना, दिवाना शास्त्री इरफ सिखाने नहीं"।
. श्रीउत्तराध्ययन सूत्र के नवमे अध्ययन में लिखा है कि नमिराजर्षि प्रत्येक दर की माता मदनरेखा ने जब दीक्षा धारण करी तब उसका नाम सुव्रता स्थापन करा सो पाठ यह है "तीएवि तासिं साहणौणं समौवे गहिया दिक्खाकय सुव्वयनामा तव संजमकामाणी बिहरडू" इत्यादि ।