________________
( ४ ) (४) आधाकर्मो आहार विषयिक चौथे प्रश्नोत्तरमें लिखा है कि"देवगुरु धर्मके वास्ते भाधाकर्मी आहार देनेमें लाभ है” जेठे ढूंढकका यह लिखना निःकेवल झूठ है, क्योंकि हमारे जैनशास्त्रोंसें ऐसा एकांत किसीभी ठिकाने लिखा नहीं है,और न हम इसतरह मानते हैं।' ___ और जेठेने लिखा है कि "श्रीभगवती सूत्रके पांचमें शतक के छठे उद्देशेमें कहा है कि जीव हणे,झूठ बोले, साधु को अनेषणीय आहार देवे,तो अल्प आयुष्य बांधे" यह पाठ सत्य है, परंतु इस पाठमें जीव हणे, झठ बोले, यह लिखा है,सो आहार निमित्त समझना,अर्थात् साधु निमित्त आहार बनातेजो हिंसा होवेसोहिंसाऔर साधु निमित्त बनाके अपने निमित्त कहनासो असत्य समझना,तथा . इसही उद्देशके इससे अगले आलावेमें लिखा है कि जीवदयापाले, असत्य न बोले,साधुको शुद्ध आहार देवे,तो दीर्घ आयुष्य बांधे,इस आलावेकी अपेक्षा अल्प आयुष्यभी शुभबांधे, अशुभ नहीं, क्योंकि इसही सूत्रके आठमें शतकके छठे उद्देशमें लिखा है कि
समणोवासगस्सणं मंतेतहारुवं समणंवा माहणंवा अफासुगणं अर्णसणिज्जेणं असणं पाणं जावपडिलाभमाण किं कज्जइ ?
गोयमा ! बहुतरियासे निज्जरा कज्जइ अप्पतराएसे पावे कम्मे कज्जड़
· अर्थ-हेभगवन् ! तथारूप श्रमण माहनको अप्राशूक अनेषणीय अशन पान वगैरह देनेसे श्नमणोपासकको क्या होवे?