Book Title: Samyaktva Shalyoddhara
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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( २८४ ) उद्दिसित्तएचउदसवास कप्पतिसुवरण भावणा नामं अझयणं उद्दिसित्तए पन्नरसवास० कप्पति चारणभावणानाम अझयणे उद्दिसित्तए सोलसवास कप्पति तेयणिसग्गं नामं अझयण उद्दिसित्तए सत्तरसवास कप्पति आसीविस नामंअझयणे उद्दिसित्तए अट्ठारस वास कप्पति दिठिविसभावणानाम अझयण उद्दिसित्तए एगुण वीसइवास परियागस्स कप्पति दिठिवाए नाम अंगेउद्दिसित्तए वीस वास परियाए समणे निग्गंथे सव्वसूआण वाइ भवति॥ ' अर्थ-तीन वर्षकी दीक्षापर्यायवाले साधुको आचारप्रकल्प अर्थात् आचारांगसूत्र पढ़ना कल्प है,चारवर्षकी दीक्षावालेको श्रीसूयगडांग सूत्र पढ़ना कल्पे है,पांच वर्षके दीक्षितको दशा कल्प तथा व्यवहार अध्ययन पढ़नेकल्प हैं,आठ वर्षकी पर्यायवालेकोठाणांगसमवायांग पढ़ना कल्पे हैं,दशवर्षकी पर्यायवालेको श्रीभगवतीसूत्र पढ़ना कल्पे है,इग्यारह वर्षकी पर्यायवालासाधुखुड्डियाविमान प्रविभक्ति,महल्लिया विमानप्रविभक्ति, अंगचूलिया, वग्गचूलिया और विवाहचूलिया पढे बारह वर्षकी पर्यायवाला अरुणोपपात,वरुणोपपात,गरुडोपपात, धरणोपपात,वैश्रमणोपपात और वेलंधरोपपात पढे,तरांवर्षकीपर्याय वाला उवहाणभूत समुट्ठाणश्रुत देवेंद्रोपपातऔरनागपरियावलिया

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