Book Title: Samyaktva Shalyoddhara
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 266
________________ प्रतिमा विराध ऐसी दुरदस छाया है। जिन सूतर बनाये एकअखर मिटाये तो नरकगतिपाये पाप सठने बंधाया है। जिना सूतर हटाये पाठ उलटे सुनाये हड़तालसे मिटाये तांका कौन छेड़ाआया है । ५ ____ कुंडलीछंद-देख खुलासापाठ जो सूत्रमहानिसीथ, जिनपडिमा से पूजिये उच्ची पदवी लीध, उच्ची पदवी लीध अच्युतासुर पद पाये, दशवेकालिक देख पाठ क्यों नैन छपाये,साधु उस थां नहीं रहे नारी मूरत लेख,ये अवगुण पडिमा सगुण पाठ खुलासा देख। सवैया-देख भादरोजी भारी लगी कर्मकी कटारी करें नरक तैयारी खोटे रंगसंग दीन है, समकित बन जारी शुद्ध बुद्धगई मारी टेर टरदी न टारी ऐसे जग में मलीन हैं । ऐसे उदय खोटे भाग स्वय देव से त्याग अन्न देव करे राग जिन राज से वो छीन हैं, देखो सठ की सठाई काक कारण उड़ाई हाथे रतनचलाई ऐसे प्रतिमासो हीन है ॥६॥ कुंडलीछंद-धीर सतगुरु सिमरिये मारग दीयो बताय । ज्ञान करण संशयहरण वंदो ते चित्तलाय । वंदो ते चित्तलाय उत्तराध्य यन अनंदे, नियुक्तिका पाठ चैत अष्टापद वंदे । चरमशरीरी कथन करेत्रिभुवनस्वामीवीर गौत्तमगिरगढपरचढे सिमरिये गुरुसतधीर ।। ___ सवैया-अस्सुं पुछ तुं असानुं असी दस्सीये तुसार्नु भ्रम भू. लियों तु कानुं ऐसे पूजाप्रभु पाइहै। जेडे सुगुरु हैं प्यारे रस टीका का विचारे निरजक्ति मल सारे भासचूरणदिखाइहै । देख पंचअंग बानी बीतराग जो वखानी गणधरदेव मानी भव्यजीव मन भाई है। सोध सुगुरुतुजानी गुरु ग्यानकी निशानी बुद्धिविजय बतानी प्रभु पूजा चित्त लाइ है ॥७॥ . कुंडली छंद-ऐसा पाठ वखानियामहाकल्पकीसार। साधु नित

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