Book Title: Samyaktva Shalyoddhara
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 249
________________ ( २८१ ) परंतु " लइ सुत्ता गहिय सुत्ता?" ऐसे नहीं कहा है तथा श्री व्यवहारसूत्र के दशमें उद्देशे में कहा है यतः तिवास परियागस्स निग्गंथस्स कप्पइ आयारकप्पे नामंअभ्यणे उद्दिसित्तएवाचउवास परियागस्स निग्गंधस्स कप्पति सूयगडे नामं अंगे उद्दित्तिए पंचवासपरियागस्स समणस्स कप्पति दसाकप्पववहारा नामकयणे उद्दिसित्तए अट्ठवास परियागस्स समणस्स कम्पति ठाण समवाए नामं अंगे उहिसितर दसवास परियागस्स कंप्पति विवाहेनाम अंगे उद्दिसित्तए एक्कारस वास परियागस्स कप्पति खुड्डियाविमाणपविभत्ति महल्लिया विमाणपविभत्ति अंगचूलिया वग्गचूलिया विवाहचूलिया नामं उहिसित्तए बारसवास परियागस्स कम्पति अरुणोववाए वरुणोववाए गरुलोववाए धरणोववाए वेसमणोववाए वेलंधरोववाए अभ्यर्ण उद्दित्तिए तेरसवास परियाए कप्पति उट्ठाण सुए समुट्ठाण सुए देविदोaare नागपरियावलिया नाम अभ्यणे

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