Book Title: Samyaktva Shalyoddhara
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 247
________________ ( शब्द ) (४) जैसे मुसलमान पैरोंतक धोती करते हैं, तैसे ढूंढिये भी पैरोंतक धोती (चोलपट्टा) करते हैं ॥ (५) जैसे मुसलमान हाजीको अच्छा मानते हैं, तैसे ढूंढिये भी वंदना करने वालेको 'हाजी' कहते हैं ॥ (६) जैसे मुसलमान लसण डुंगली अर्थात् प्याज कांदा गंडे खाते हैं, तैसे ढूंढिये भी खाते हैं ॥ (७) जैसे मुसलमानोंका चालचलन हिंदुओंसे विपर्यय है, तैसे ढूंढियों का चालचलन भी जैनमुनियों से तथा जैनशास्त्रों से विपरीत है ॥ (८) जैसे मुसलमान सर्व जातिके घरका खा लेते हैं, तैसे ढूंढिये भी कोली, भारवाड़, छींबे, नाई, कुम्हार वगैरह सर्व वर्णका | खाते हैं । 4 -इत्यादि बहुत बोलों करके ढूंढिये मुसलमानों के समान सिद्ध होते हैं । और ढूंढियेश्रावक तो स्त्रीके ऋतुके दिन न पालने से उन से भी निषिद्ध सिद्ध होते हैं* ॥ ॥ इति ॥ (४३) मुंह पर मुहपत्ती बंधी रखनी सो कुलिंग है इसबाबत । ४३ में प्रश्नोत्तर में मुंहपर मुहपत्ती बांध रखनी सिद्ध करने वास्ते जेठने कितनी युक्तियां लिखी हैं, परंतु उन्हीं युक्तियोंसे वो झूठा होता है, और मुहपत्ती मुंहको नहीं बांधनी ऐसे होता है । क्योंकि जेठेने इसबाबत मृगाराणीके पुत्र मृगालोढीएको देखने * ढूंढनियां अर्थात् ढूंढक साध्वीयां- धारना भी ऋतुके दिन नहीं पालती हैं !

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