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( ५ ) द्वीपपन्नत्ति, (९) द्वीपसागरपन्नत्ति, (१०) चंदपन्नत्ति, (११) खुड्डियाविमाणपविभत्ति, (१२) महल्लियाविमाणपविभत्ति, (१३) अंगचूलिया, (१४) वग्गचूलिया, (१५) विवाहचूलिया,(१६)अरुणोबाइ, (१७) वरुणोववाइ, (१८) गरुडोववाइ,(१९) धरणोक्वाइ,(२०) वेसमणोववाइ, (२१) वेलंधरववाइ, (२२) देविंदोषवाइ, (२३) उत्थान श्रुत, (२४) समुत्थानश्रुत, (२५) नागपरियावलिया, (२६) निर्याव लिया, (२७) कप्पिया, (२८) कप्पवडंसिया, (२९) पुफिया, (३०) पुप्फचूलिया, (३१) वन्हीदशा ॥ ___ एवमाइ शब्दसे ज्योतिष्करंडसूत्र प्रमुख चौदहहजार में से कितनेक कालिकसूत्र समझने। ___ कुल ७३ के नाम लिखके एकमाइ शब्दले आदि लेके १४००० प्रकीर्णकसूत्र कहे हैं,तिनमें ले जो व्यवच्छेद होगय है सो तो भरत खंड में नहीं हैं। और शेष जो हैं लो सर्व आगम नामसे कहे जाते हैं। तिनमेंसे कितनेक पाटण,खंबायत (Cambay) जैसलमेर प्रमुख नगरोंके प्राचीन भंडारों में ताडपत्रों ऊपर लिखे हुए विद्यमान हैं।
जेठमल लिखता है कि "वत्तील उपरांत सर्व सूत्र व्यवच्छेद हो गए और हाल में जो हैं सो नये बनाये है"उत्तर-जेठमलका यह लिखना झूठ है। यदि यह नये बनाये गये होंगे तो बत्तीससूत्र भी नये वनाये सिद्ध होंगे क्योंकि बत्तीससूत्र वोही रहे और दूसरे नये बनाये गये इसमें कोई प्रमाण नहीं है,और जेठेने इस बाबत कोई भी प्रमाण नहीं दिया है इसवास्ते उसका लिखना मिथ्या है ॥
बत्तीस उपरांत (४५) सूत्रांतर्गत (१३) सूत्रोंमें से आठसूत्रोंके नाम पूर्वोक्त नंदिसूत्रके पाठमें हैं तथापि जेठा तिनको आचार्यके बनाये कहता है सो मिथ्या है ।।