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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका पीठिका ]
ताकौं कहिये है - रे मूख ! किंछ कहने से होता नाहीं ! सिद्धि ती, अभिप्राय के अनुसारि है । तातें जैन शास्त्र के अभ्यास तें अपना अभिप्राय करें सम्यकरूप करना । पर अंतरंग विष विषयादिक सेबन का अभिप्राय होत तौ धर्मार्थी नाम पावै नाहीं।
ऐसें चरणानुयोग के पक्षपातो कौं इस शास्त्र का अभ्यास विर्षे सन्मुख कीया।
अब द्रव्यानुयोग का पक्षपाती कहै हैं किं - इस शास्त्र विष जीव के गुणस्थानादिक रूपं विशेष अर कर्म के विशेष वर्णन किए; तिनकौं जाने अनेक विकल्प तरंग उ, अर किछु सिद्धि नाहीं । तातें अपने शुद्ध स्वरूप की अनुभवना वा अपना अरे पर का भेदविज्ञान करना -- इतना ही कार्यकारी हैं। अथवा इनके उपदेशक जे अध्यात्मशास्त्र, तिनका ही अभ्यास करना योग्य हैं ।।
ताकौं कहिये है - हे सूक्ष्माभासबुद्धि ! हैं कहाँ सो सत्य, परंतु अपनी अवस्थी देखनी । जो स्वरूपानुभव विष वा भेदविज्ञान विष उपयोग निरंतर रहै, तो काहेकौं अन्य विकल्प करने । तहां ही स्वरूपानंदसुधारस को स्वादी होइ संतुष्ट होना । परन्तु नीचली अवस्था वि तहाँ निरन्तर उपयोग रहै नाहीं । उपयोग अनेक अवलंबनि कौं चाहै है । तातै जिर्स काल तहां उपयोग न लागै, तब गुरणस्थानादि विशेष जानने की अभ्यास करना । .
बहुरि तें कहा कि - अध्यात्मशास्त्रनि का ही अभ्यास करना, सो युक्त ही है। परन्तु तहां भेदविज्ञान करने के अथि स्व-पर का सामान्यपर्ने स्वरूप निरूपण है । और विशेष ज्ञान बिना सामान्य का जानना स्पष्ट होइ नाहीं । तातै जीव के अर कर्म के विशेष नीक जाने ही स्व-पर का जानना स्पष्ट हो है । तिस विशेष जानने की इस शास्त्र का अभ्यास करना । जातै सामान्य शास्त्र ते. विशेष शास्त्र बलवान है । सो ही कह्या है- “सामान्यशास्त्रतो नून विशेषो बलवान् भवेत् ।" .
_ इहाँ वह कहै है कि - अध्यात्मशास्त्रनि विर्षे तो गुणस्थानादि विशेषनिकरि रहित शुद्धस्वरूप का अनुभवना उपाय कह्या है । इहाँ गुणस्थानादि सहित जीव का वर्णन है । तात अध्यात्मशास्त्र अर इस शास्त्र विर्षे तो विरुद्ध भास है, सो कैसे है ?
.. ताकौं कहिये है नय दोय प्रकार है - एक निश्चय, एक व्यवहार । तहां निश्चयनय करि जीव का स्वरूप गुणस्थानादि विशेष रहित अभेद वस्तु मात्र ही हैं । अर व्यवहारनयं करि गुणस्थानादि विशेष संयुक्त अनेक प्रकार है । तहां जे जीव सर्वोत्कृष्ट, अभेद, एक स्वभाव' कौं अनुभव हैं; तिनकों तौ तहां शुद्ध उपदेश रूप जो शुद्ध निश्चयनयं सो ही कार्यकारी है।
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