________________
OF
हिन्दी अनुवाद-अ. १, पा. ४ द्यय्ययों जः ॥२४॥
___(द्य, य्य और र्य) इनका जकार होता है। उदा.-द्य (का ज)-मद्यम् मज्ज । भवद्यम् अवज्ज । आतोद्यम् आओज्जं । द्युतिः जुई । द्योतः जोओ। य्य (का ज)-शय्या सेज्जा। जय्यः जज्जो। क्षय्यः खज्जो। र्य (का ज)-कार्यम् कज्ज । पर्यायः पज्जाओ। पर्याप्तम् पज्जत्तं ॥ २४ ॥ त्वभिमन्यौ जज ॥ २५ ॥
अभिमन्यु शब्द स्तु के यानी संयुक्त व्यंजनके जर् और ज ऐसे ये (विकार) विकल्पसे होते हैं । (जर में) र् इत् होनेसे, (ज का) द्वित्व होता है। उदा.-अहिमज्जू अहिमजू । विकल्पपक्षमें-अहिवण्णू अहिमण्णू ॥ २५ ॥ ध्यह्योझल् ॥ २६ ॥
ध्य और ह्य इनका झ होता है । (झल् में, लू इत् होनेसे,(यह श) नित्य होता है । उदा.-ध्य (का झ)-ध्यानम् झाणं । अध्ययनम् अज्झयणं । सन्ध्या संझा। विन्ध्यः विझो। उपाध्यायः उवज्झाओ। ह्य (का झ)-सह्यः सज्झो। गुह्यम् गुज्झं । ग्राह्यम् गेज्झं । नह्यते णज्झइ ॥ २६ ॥ साध्वसे ॥ २७ ॥
साध्वसमें स्तु का यानी संयुक्त व्यंजनका झ होता है। उदा.-सज्झसं ॥ २७ ॥ ध्वजे वा ॥ २८ ॥
___ध्वजमें स्तु का यानी संयुक्त व्यंजनका झ विकल्पसे होता है। उदा.झओ धओ ध्वजः ॥ २८ ॥ इन्धौ ॥ २९ ॥
प्रदीत होना इस अर्थमें होनेवाले इन्ध (इन्धी) धातुमें स्तु को यानी संयुक्त व्यंजनको श ऐसा आदेश होता है । उदा.-समिध्यति समिज्झइ॥२९॥ तस्यापूर्तादौ टः ।। ३० ॥ ___अधूर्तादौ यानी धूर्त, इत्यादि शब्दोंको छोडकर, (अन्य शब्दोंमें) त का हो जाता है। उदा.-कैवर्तः केवट्टो । वर्तिः षट्टी । वर्तुलम् वट्ठल । संवर्तितः
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org