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हिन्दी अनुवाद-अ. २, पा. २
चिट्ठन्ति । ताओ, एआओ महिलाओ । मधुमकलिंगमें नहीं, ऐसा क्यों कहा है ? (कारण नपुंसकलिंगमें आगे दिये रूप होते हैं)-तं, एअं वणं ।। ८९ ।। सुप्यदसो मुः ॥ ९० ।।
विभक्तिप्रत्यय आगे होनेपर, भदस् के स्थानपर अमु ऐसा आदेश होता है। उदा.-अम् पुरिसो। अमुणो पुरिसा। अमुं वणं। अमई वणाई। अमू महिला । अमओ महिलाओ। टा-अमुणा । अमहि ॥ ङसि-अमूहिंतो अमूमओ भमूहि अमउ अमुत्तो। भ्यस्-अमूहिंतो अमूसुतो। ढस- अमुणो अमुस्स। आम्-अमूणं । डि-अमुम्मि । सुप्-अम्सु ॥ ९० ॥ अहद्वा सुना ॥ ९१ ।।
सु प्रत्ययके साथ अदस् को अहत् ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। (अहत् में) तकार 'सिर्फ उतनाही' (तावन्मात्र) यह दिखानेके लिए है, इसलिए स्त्रीलिंगमें आ नहीं होता। उदा.-अह पुरिसो। अह महिला । अह वण । मह णे हसइ हिअएण मारुअतणओ, असावस्मान् हसति हृदयेन मारुततनयः। विकल्पपक्षमें-अमू पुरिसा । भम् महिला । अमुं वणं ॥ ९१ ॥ इआऔ म्मौ ॥ ९२ ।।
डिवचनका म्मि आदेश आगे होनेपर, अदर को इअ और अअ ऐसे भादेश विकल्पसे होते हैं। उदा.-इमम्मि । अअम्मि ॥ ९२॥ ।
-द्वितीय अध्याय द्वितीय पाद समाप्त -
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