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हिन्दी अनुवाद - अ. ३, पा. १
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मुसुमूरइ | मूरइ । पविरज्जइ । सूरह | सूड । करजइ । निजइ । विश्व । 'विकल्पपक्ष में- भञ्जइ ॥ ४९ ॥ गर्जेर्बुकः ॥ ५० ॥
गर्जति धातुको बुक ऐसा आदेश त्रिकल्पसे होता है | उदा. - बुकइ ! विकल्पपक्ष में- गज्जइ ॥ ५० ॥
डिक्को वृषे ।। ५१ ॥
वृष-कर्तृक गर्जति धातुको टिक ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा. डिक्कर, वृषो गर्जति, ऐसा अर्थ ॥ ५१ ॥
तिजेरोसुक्कः ॥ ५२ ॥
'तिज निशातने' में तिज् धातुको ओसुक्क ऐसा आदेश विकल्प से होता है | उदा. ओमुक्कई । विकल्पपक्षमें तेअइ । तेअणं ॥ ५२ ॥ आरोलवमालौ पुजेः ।। ५३ ॥
पुज् (पुञ्ज) धातुको आरोल, वमाल ऐसे आदेश विकल्पसे होते हैं । उदा.- आरोलह | वमालइ । ( विकल्पपक्ष में ) - पुञ्जइ ॥ ५३ ॥
कम्मवमुपभुजः ।। ५४ ॥
उप (उपसर्ग) पीछे होनेवाले भुज् (भुजि) धातुको कम्मत्र ऐसा आदेश विकल्प से प्राप्त होता है । उदा. कम्मवइ । (विकल्पपक्ष में) - उपभुञ्जइ ॥ ५४ ॥ विडवमर्जिः ः ।। ५५ ।।
अर्ज (अर्ज) धातुको विडव ऐसा आदेश विकल्पसे प्राप्त होता है । उदा. - विडव | (विकल्पपक्ष में ) - अज्जइ ॥ ५५ ॥
लज्जेजहः ।। ५६ ।
'ओलजी व्रीडायाम्' मेंसे लज् धातुको जीह ऐसा आदेश विकल्प से होता है | उदा--जीहइ | ( विकल्पपक्ष में ) - लज्जइ || ५६ || राजेः सहरेहच्छज्जरिराग्धाः ।। ५७ ।।
'राजू दीसों मेंसे राज् धातुको सह, रेह, छज्ज, रिर और अब ऐसे पाँच आदेश विकल्प से होते हैं । उदा--सहइ | रहेइ | छज्जइ । रिइ । अम्बा (विकल्पपक्ष में) - राइ ॥ ५७ ॥
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