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हिन्दी अनुवाद-अ. २, पा. ४
उत्थल उच्चलेः ॥ १४१ ॥
'चल. गतौ मसे चलू धातुके पीछे उत् (उपसर्ग) होनेपर, उस धातुको उत्थल ऐसा आदेश होता है। उदा.-उत्थलइ ।। १४१ ।। धूर्गेधुम्मपहल्लघोलघुलाः ।। १४२ ॥ - 'धूर्ण भ्रमणे मेंसे घूर्ण धातुको घुम्म, पहल्ल, घोल और धुल ऐसे चार
आदेश होते हैं । उदा.-घुम्मइ । पहल्लइ । घोलइ । घुलइ ।। १४२ ।। लिम्पो लिपः ॥ १४३ ।।।
लिए (लिपि) धातुको लिम्म ऐसा आदेश होता है। उदा.-लिम्पइ ॥१४३।। शदेझडपक्खोडौ।। १४४ ॥
___ 'शद्ल शातने मेंसे शद् धातुको झड, पक्खोड ऐसे आदेश होते हैं । उदा.-झडइ । पक्खोडइ ।। १४४ ।। नेः सदेमज्जः ॥ १४५ ।। _ 'पद्ल. विशरणगत्यवसादने भैसे षद् (सद्) धातुके पीछे नि (उपसर्ग) होनेपर, उस धातुको मज्ज ऐसा आदेश होता है। अत्ता एत्थ णुमज्जइ, श्वश्रूरत्र निषीदति ।। १४५ ॥ पुच्छः पृच्छेः ।। १४६ ।।
पृच्छति को पुच्छ ऐसा आदेश होता है। उदा.-पुच्छइ ।। १४६ ।। गण्ठो ग्रन्थेः ।। १४७ ।।
ग्रंन्थ् (प्रन्थि) धातुको गण्ठ ऐसा आदेश होता है । उदा.-गण्ठइ ॥१४७॥ तुवरजअडौ त्वरेः ।। १४८ ।। ____ त्वर (स्वरि) धातुको तुवर, जअड ऐसे आदेश होते हैं। उदा. तुवाइ । जअडइ । तुरन्तो । जअडन्तो।। १४८ ॥ अतिङि तुरः ॥ १४९।।
(इस सूत्रमें २.४ १४८ से) त्वरेः पदकी अनुवृत्ति है। तिङ् प्रत्ययोंको छोडकर अन्य प्रत्यय आगे होनेपर,त्वर् को तुर ऐसा आदेश होता है। उदा.. तरिओ। तुरन्तो । तिङ् प्रत्ययोंको छोडकर, ऐसा क्यों कहा है ? (कारण तिङ यत्यय आगे होनेपर, तुवर ऐसा आदेश होता है)। उदा. वरतुह ॥ १४९ ॥
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