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हिन्दी अनुवाद-. २, पा. ३
तुब्भ तुहिंतो तुम्ह उसिना ।। ७ ।।
ढसि प्रत्ययके साथ युष्मद् शब्दको तुम, दहितो और तुम्हें ऐसे तीन रूप प्रास होते हैं। उदा. तुभ तुहितो तुम्ह वा भागओ। 'वा भो म्हनों (२.३.१४) इस वचनानुसार, तुम्ह, तुजा (रूप होते हैं)। एवं (कुल) पाँच रुप होते हैं ॥ ७ ॥ तु.तुइ ङिपङमौ ॥ ८॥
डिप यानी सप्तमी विभक्ति; हार्स यानी पंचमी एकवचन; ये प्रत्यय आगे होनेपर, युष्मद् शब्दको यथाक्रम तु, तुइ ऐसे आदेश प्राप्त होते हैं। सप्तमी और ढसि इनमें यथाप्राप्त (प्रत्यय होते ही हैं)। पर सप्तमीमें मात्र-तुम्मि तुसु' । इसिम-तइ तुइसो तुईहितो तुईओ तुईउ आगो ॥ ८ ॥ तुव तुम तुह तुब्भ ॥ ९ ॥
(इस सूत्रमें २.३.८ से) डिण्डसौ पदकी मनुवृत्ति है । डिप् और उसि भागे होनेपर, युष्मद शब्दको तुव, तुम, तुह, और तुब्भ ऐसे चार रूप प्राप्त होते हैं। ढिप् और ङसि इनमें यथाप्राप्त (प्रत्यय होते ही हैं)। डिपतुवम्मि तुम्मि तुहम्मि तुब्मम्मि । 'वा भो म्हज्झौ' (२.३.१४) इस वचनानुसार, तुम्हम्मि तुन्मम्मि । सप् में-तुवेसु तुमेसु तुहेसु तुब्भेसु तुम्हेसु तुझे ठिअं । 'क्वासुपोस्तुमुणात्' (१.१.४३) सूत्रानुसार, अनुस्वार प्राप्त होनेपर, तुवेसुं, इत्यादि रूप होते हैं । ङसिमें-तुवाहितो तुमाहितो तुहाहिंतो तुब्भाहिंतो। 'वा ब्भो म्हज्झौ' (२.३.१४) इस वचनानुसार, तुम्हाहिंतो तुज्झाहिंतो। इसीप्रकार-तुवत्तो तुमत्तो तुइत्तो तुब्भत्तो तुम्हत्तो तुज्झत्तो। इसीप्रकार दो, दु, हितो और सुंतो इन प्रत्ययोंमें उदाहरण लेना है। पर तत्तो रूप मात्र त्वत्तः शन्दमेंसे व का लोप होकर सिद्ध हुआ है ॥९॥ भिसा भेतुब्भेाब्भेाय्हेहितुम्हेहि ।। १० ॥
भिस प्रत्ययके साथ युष्मदको भे, तुमहि, उन्भेहि, उव्हेहि और तुय्हेहि ऐसे पाँच रूप प्रात होते हैं । उद।.-भे तुभेहि उब्भेहि उव्हेहि तुम्हेहि करं । 'वा भो म्हज्झौ' (२.२.१४) वचनानुसार, तुम्हेहि तुझेहि उम्हे हि सोहि (प होते हैं)। इसीतरह (कुल) नौ रूप होते है ॥ १०॥
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