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हिन्दी अनुवाद-अ.२, पा. ३
अहं जल्पामि । अहं गमिस्स, अहं गमिष्यामि। अज्ज अहम्मि हासिआ, भयाहं हासिता । न अम्मि कुविभा, नाहं कुपिता ॥ १५ ॥ मो भे व जसा ॥ १६॥
___(इस सूत्र में २.३.१५ से) अस्मद् पदकी अनुवृत्ति है। जस् प्रत्ययके साथ अस्मद् शब्दको मो, भे, और वअं ऐसे तीन आदेश प्राप्त होते हैं। उदा.मो भणामो, इत्यादि ॥ १६ ॥ अम्हे अम्हो अम्ह ॥ १७ ॥
जस् प्रत्यय के साथ अस्मद् शब्दको अम्हे, अहो और अम्ह ऐसे तीन आदेश प्राप्त होते हैं। यह सूत्र (२.३.१६ से) स्वतंत्र रूपसे कहनेका कारण यह है कि उसका उपयोग अगले सूत्र में हो। उदा. अम्हे, इत्यादि ॥ १७ ॥ णे च शसा ।। १८ ॥
शस् प्रत्ययके साथ अस्मद् शब्दको जे ऐसा (आदेश), और (सूत्रामसे) चकारके कारण अम्हे, इत्यादि (२.३.१७ मेंसे) तीन आदेश प्राप्त होते हैं। उदा.-णे अम्हे पेच्छ, इत्यादि ॥ १८ ॥ मंणे णं मि मिमं मममम्मि अहं मम्हाम्ह अमा॥ १९ ॥
अम् प्रत्ययके साथ अस्मद् शब्दको मं, णे, णं,मि, मिमं, ममं, अम्मि,अहं, मम्ह, अम्ह ऐसे दस आदेश प्राप्त होते हैं। उदा.-मं पेच्छ, इत्यादि ॥ १९ ॥ मि मइ ममाइ मए मे डिटा ॥ २० ।।
डिवचन और टावचन इनके साथ अस्मद् शब्दको मि, मइ, ममाइ, मए, मे ऐसे पाँच आदेश प्राप्त होते हैं। उदा.-मि ठिअं कअं वा, इत्यादि ॥ २० ॥ ममं णे मआइ ममए टा॥ २१ ॥
टावधन के साथ अस्मद् शब्दको ममं, णे, माइ और ममए ऐसे चार आदेश प्राप्त होते हैं। उदा.-ममं करं, इत्यादि ।। २१॥ त्रि.प्रा.व्या....१०
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