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- त्रिविक्रम-प्राकृत-प्याकरण
अनिदमेतदस्तु कियत्तदः स्त्रियां च हिं ।। ६४ ।।
इदम् और एतद् इन् (शब्दों) को छोटकर, सर्वादिके आगे दि को. हिं ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। किम् , यद्, और तद् इनके बारेमें स्त्रीलिंगभी (ऐसा आदेश होता है)। उदा.-सव्वहिं । अण्णार्हि । जहिं । तहि। कहिं । विकल्पपक्षम-सव्वत्थ सव्वस्सि सबम्मि, इत्यादि । (सूत्रमें) सीलिंगमभी, ऐसा क्यों कहा है ? (कारण) किम् , यद्, और तद् इनके स्त्रीलिंगभी ऐसा आदेश भाता है। उदा.-काहिं । जाहिं । ताहिं । बाहुलकत्वसेही 'किंयत्तदोऽस्व मामि सुपि (२.२.४०) सूत्रानुसार डीप विकल्पसे आता है। उदा.-कार कीए, इत्यादि । इदम् और एतद् इनको छोडकर, ऐसा क्यों कहा है ! (कारण उनके बारेमें ऐसा आदेश नहीं होता)। उदा.-इमस्ति । अस्सि ॥ ६४ ।। . आमां डेसिं ।। ६५ ॥
(इस सूत्रमें २.२.६४ से) तु पदकी अनुवृत्ति है । सर्वादिके आगे आम् प्रत्ययको डित् एसिं ऐसा आदेश विकल्पसे होता है। उदा.-सव्वेसि ! अण्णेसि । एसिं । इमेसि । एएसि । जसि । तेसिं। केसं विकलापक्षमें--- सवाणं । अण्णाणं । इत्यादि । आमाम् ऐसा बहुवचन (सूत्रमें) प्रयुक्त किया जानेसे, स्त्रीलिंगके बारेमें भी ऐसा आदेश होता है । उदा.-सर्वासाम् सव्वेसि । इसी प्रकार-मण्णेसिं । जेसिं । तसिं ॥ १५॥ किंतद्भयां सश् ॥ ६६ ॥
किम् और तद् इनके आगे भाम् प्रत्ययका शित् सकार विकल्पसे होता है । उदा.-कास । तास । विकल्पपक्षमें-केसि । तेसिं ॥ १६ ॥ किंयत्तद्भयो उस् ।। ६७ ।।
(इस सूत्रमें २.२.६६ से) सश् पदको अनुवृत्त है । किम् , यद् और तद् इनके आगे आनेवाल जो डस् प्रत्यय, उसको सश् ऐसा आदेश विकल्प होता है। उदा.-कास । जास । तास | विकल्पपक्षमें-कस्स । जस्म । तस्स ! बहुलका अधिकार होनेसे, स्त्रीलिंगमेंभी किम् , यद्, और तद् इनके आगे (यह आदेश भाता है)। उदा,-कस्याः कास । यस्या: जास। तस्याः तास । विकल्पपक्षमें-काए । जाए। ताए ।। ७ ।।
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