Book Title: Prabandh Chatushtay
Author(s): Ramniklal M Shah
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 10
________________ प्रबन्ध - चतुष्टय मज्झासि इय पइन्ना जिप्पिज्जा' जेण केणई वाए । अहयं सिस्सो तस्सेव देसु ता मज्झ दिक्खं ति ॥२०॥ तो वुड्डवाइणा सो सोहण-दिवसम्मि दिक्खिओ विप्पो । अचिरेणं सो जाओ महाकई वायलद्धि-जुओ ॥२१॥ निय-[3B] गुरुणा पत्यावे ठविओ सो निय-पयम्मि जय-पयडे । सिरि-सिद्धसेणसूरी जाओ निद्दलिय-वाइ-मओ ॥२२॥ सो अन्नया कयाई बाहिं जंतोऽवलोइओ मग्गे । सामंत-मंति-सहिएण विक्कमाइच्च-नरवइणा ॥२३॥ आसीवाओ एयाण केरिसो चिंतिऊण तो विहिओरे । दिट्टि-पणामो तेहिं वि तब्भावं जाणिउं दिन्नो ॥२४॥ करि-कंधराधिरूढस्स विक्कमाइच्च-राइणो झत्ति । महसद्देणं उब्भेवि निय-करं धम्मलाभो ते ॥२५॥ छइल्लत्तण-तुट्टेण दव्व-कोडी दवाविया रन्ना । तेणं कविराएणं पारिग्गहिएण तं दाणं ॥२६॥ निव-वायपट्टयं चिय लिहियं अज्ज विय . . . . . । [पत्र 4 अप्राप्य. . . . . . . . . . . . . . . . ] ॥२७॥ [5A] तो वत्थव्व-निवेणं भणियं अम्हाण गोट्ठि-वोच्छेओ । होही तुमए सद्धिं जेणाहं तुच्छ-धण-सुहडो ॥२८॥ तन्नेह-मोहिएणं भणियं तो सूरिणा महाराय । अहयं तुह सन्नेझं करेमि मा भीहि इय भणिए ॥२९॥ एगंमी आवाडे खित्तो पुव्व-कय-दव्व-संजोओ । तस्स पभावा' जायं कणयं तं तस्स दिन्नं ति ॥३०॥ १. जिपिज्जा २. तस्सेय ३. विहेउं । ४. आवाहे ५ पभावे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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