Book Title: Prabandh Chatushtay
Author(s): Ramniklal M Shah
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

Previous | Next

Page 70
________________ ६३ प्रबन्ध - चतुष्टय कत्थ मुणीणं 'ताणं उवविसणं दुविह-सुद्धेसु । कत्थ इमं कोमल-गद्दियासु अट्टज्झाण-[85-A]अविसुद्धं ॥६७३ ॥ कत्थ सया दसविह-चक्कवाल-आयार-पालणं ताणं । कत्थ य सावेक्खाणं' तारिसं राय अम्हाणं ॥६७४॥ किं बहणा ते चेव य हवंति नरनाह साहुणो धन्ना । जे लोय-निरावेक्खा कुणंति धम्मं निरासंसा ॥६७५ ॥ तुम्हऽवरोहा सव्वं नरनाह इत्थ आयरियं । अम्हेहिं तह वि हु तुज्झ नेय जाया जिणे भत्ती ॥६७६ ॥ हसिऊण तओ भणियं नरवइणा जइ भणेह तुम्ह पुरो । नीरं वहेमि कुंभेण नेय उज्झेमि निय-धम्मं ॥६७७ ॥ जम्हा बहु-पुरिस-परंपरा[85-B]ए अम्हाण आगओ एसो । किंचाहं छदसण-समय-विऊ ता किमन्नेहिं ॥६७८ ॥ पडिबोहिउं सक्को मंदमई जे उ हलहराईया । ते तुम्हाणं पडिबोहणाए जोग्गा इहं किंच ॥६७९ ॥ कत्तिय-मेत्ता विउसा ठविया निय-दंसणम्मि मे कहह । इय भणिए वयइ पहू भण नरवइ तं पमोत्तूणं ॥६८० ॥ अन्ने जे निय-धम्मे ठवेमि इह जंपिए भणइ राया । वप्पइरायं बोहसु जेण महं होइ संवित्ती ॥६८१ ॥ पहुणा तो संलवियं कह नज्जइ सो विबोहिओ संतो ।। जा86-A]म्हा सो महुराए वराहसामिस्स देवहरे ॥६८२ ॥ ठविऊणं 'निय-तणयं रज्जे परलोय-कंखिओ ऽणसणे थक्को । तो कह नज्जइ पडिबोहो तस्स विउसस्स ॥६८३॥ १. नाणं २. ० क्खाण ३. ० वरोहो ४. उज्जेमि ५. नियंत. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114