Book Title: Prabandh Chatushtay Author(s): Ramniklal M Shah Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi AhmedabadPage 81
________________ ७४ बप्पभट्टि कथानक रयणीए निय-सिज्जं रयावएं तत्थ जाव सुहसुत्तो । चिट्ठइ तावागंतुं पाएहिं गसइ सो रायं तो भणिओ सो रन्ना सत्तेण छुढाए कुणसि किं एयं । भुक्खाए तेण भणिए सव्व तणू किं न भक्खेसि इय भणिओ जा रन्ना तो तुट्ठो साहसेण जंपे [98A]इ । मग्ग वरं तुट्ठो हं नरवइणा तो इमं भणिओ इय कहिए तुह खेओ भविस्सइ ता अहं कहिस्सामि । छम्मास - सावसेसे तुह जीए तेण तोऽवसरे आगंतूणं सिहं सो समओ एस कत्थ पुट्ठम्मि । जस्स मकारो नामम्मि आइमो तम्मि ठाणम्मि अन्त्रेण नत्थि किंचि वि पओयणं कहसु मज्झ अवसाणं । कइया होही कत्थ व तेण तओ जंपियं रायं इय वोत्तूणं सो रक्खसो गओ नरवई वि तस्सऽत्थं । चितइ मणम्मि जा ताव सुमरियं मामहं तित्थं किर जाइस्सइ तिथे ता झत्ती तत्थ नीर - मज्झाओ । उच्छलिया सिहि-जाला रक्खस-सिट्ठा तओ पुट्ठा ॥७९३ ॥ ॥७९४ । Jain Education International ॥७९५ । For Private & Personal Use Only ॥७९६ । ॥७९९ । तं साहिऊण पहुणो सचिवस्स य तेहि संजुओ चलिओ । [98B] नावारूढो च राया गंगाए जाव तं तरिउं ॥८०० । ॥७९७ । ॥७९८ । तत्तीर-वासि - लोया इमस्स गामस्स कहह किं नामं । मंगटोडा इइ कहियम्मि निवेण तो निच्छियं चित्ते सो च्चिय एस पएसो कहिओ सूरीण तो तहा भणिया । तुम्हाण वि पज्जंतो एत्थेव य होउ इय विहिणा ॥८०१ । ॥ ८०२ । ॥८०३ ॥ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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