Book Title: Prabandh Chatushtay Author(s): Ramniklal M Shah Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi AhmedabadPage 47
________________ ४० बप्पभट्टि - कथानक [54A] तो पणमिऊण चलणे गुरूण सव्वं पि साहए चरियं । निययं' गरुय-पमोएणं तत्थ चिट्ठइ पढंतो सो ॥४१८ सूरीण ताण मूले निच्चं सह बप्पहट्टिणो दो वि । निस्सेस-सस्थ-कुसला जाया अणुदियहमब्भासा ॥४१९ । एवं च तस्स कुमरस्स पइदिणं बप्पहट्टिणा सद्धिं । जाया परमा पीई सत्थब्भासं कुणंतस्स ॥४२० । अह अन्न-वासरम्मी समागया कन्नउज्ज-नयराओ । कुमरस्साणयणत्थं चरि[54B]या सा गमिय कुमरस्स ॥४२१ ॥ विन्नवहिं एवं जह कुमर राया इमं भणावेइ । सिरि-जसवम्मो सिग्घं आगच्छसु गिण्ह निय-रज्जं ॥४२२॥ एत्तिय-मेत्तं कालं परिभूओ रज्ज-कारणा धरिओ । संपइ मम आयंको तो कुवियप्पो न. कायव्वो ॥४२३॥ इय सुणिऊणं कुमरो जंपइ सूरीण नमिय चलणेसु । पेसेह मए सद्धि मम भायं बप्पहट्टि त्ति ॥४२४॥ सूरीहिं तओ भणियं गच्छसु तं ताव संपयं [55A] एसो। पच्छा तुज्झ समीवे आगच्छिस्सइ तओ कुमरो ॥४२५ ॥ पभणइ नमिऊणं बप्पहट्टिमम्हाणमुवरि इय नेहो । मोत्तव्वो न कयाइ वि तह मम जइया निवा' तुज्झ ॥४२६ ॥ आगच्छंती आकारणाय तइया तए लहुं तत्थ । आगंतव्वं इय भणिय झत्ति चरियाए आरूढो ॥४२७॥ थोवेहिं चिय दियएहि तत्थ पत्तो तओ य निय-पिउणा । अभिसेयं काऊणं नियम्मि पट्टम्मि सो ठविओ ॥४२८ ॥ १. निवयं २. ० मब्भासो ३. एव ४ ० हट्टि त्ति ५. निया ६. दियहिं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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