Book Title: Prabandh Chatushtay Author(s): Ramniklal M Shah Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi AhmedabadPage 48
________________ ४१ प्रबन्ध - चतुष्टय आयंक-विहुरिय-तणू काउं परलोय-कज्जमखिलं पि । सिरि-जसवम्मो राया जससेसो तो जए जाओ ॥४२९ ॥ छत्तीस-गाम-लक्खाण [55B] सामिओ पणय-पउर-सामंतो ।। पालइ पुहङ्-पहुत्तं तत्तो सिरि-अम्मराओ त्ति ॥४३०॥ चउरासी सामंता पट्टविया तेण पत्त-रज्जेण ।। आणयणत्थं लहु बप्पहट्टिणो पाडला-गामे ॥४३१ ॥ नमिऊण सूरि-चलणे ते वि य जपंति पंडियं निययं । नामेण बप्पहट्टि पेसह इय भणइ अम्ह पहू ॥४३२॥ सिरि-अम्मरायनामो जइ ममं नेहओ गुरु वयइ । पाणपिओ एसऽम्हं तहा वि उवरोहओ रनो ॥४३३॥ नो सक्केमो भणिउं किं पि वि तो तेहि वी भणियं । एस 'पसाओ अम्हं उ णामिय-उत्तमंगेहिं अज्ज पि पाडल-गामे कंजेलाइय तलाइया नाम । दिसइ सामंताइ बहु कूरुस्सावणुब्भूया (?) ॥४३५ ॥ तो ते तं गिण्हेउं संपत्ता [56A] कन्नउज्ज-नयरम्मि । संमुहमुवागओ तस्स अम्मराओ वि बहु-भूमि ॥४३६ ॥ महया विच्छड्डेण पवेसिओ पट्ट-हत्थि-आरूढो । एगासणोवविट्ठो निय-नयरे धरिय-सिय-छत्तो ॥४३७॥ भणिओ य गिण्ह रज्जं एवं मह संतियं जओ तुज्झ । पुव्वं पि मए दिन्नं पसत्थि-वक्खाण-समयम्मि ॥४३८ ॥ तो बप्पहट्टिणेवं भणियं नरनाह नेरिसो कप्पो । एत्तिय-मित्तं भूमी तुज्झऽवरोहेण संपत्तो ॥४३९॥ १. पआओ ॥४३४॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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