Book Title: Prabandh Chatushtay Author(s): Ramniklal M Shah Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi AhmedabadPage 45
________________ ३८ बप्पभट्टि - कथानक ॥३९५ ॥ तं पासिय पडिबुद्धो साहूणं कहइ तेहिं वी भणियं । सम्म एयस्सऽत्यो नो नज्जइ जंपियं तत्तो। सूरीहिं तो मुणिणो एयस्सऽत्थो इमो जहा सीहो । [पत्र 51 अप्राप्य . . . . . . . . . . . ] ॥३९६॥ . . . . . . . . [52A]अम्ह समीवम्मि पव्वज्ज ॥३९७॥ उवगारो उ लहुकम्मयाए निय-जणय-परिभवाओ य ।। पडिवन्नो तेण तओ सूरी गंतूण तं गामं ॥३९८ ॥ तज्जणणि-जणय-पुरओ जंपइ अम्हाण देहि निय-तणयं । एयं उत्तम-पयवीए जेण कुणिमो सुयं तुम्ह ॥३९९ ॥ कहकहवि किलेसेणं तेहिं वि सो ताण अप्पिओ तणओ । सूरी तत्तो तं गिहिऊण मोढेरयम्मि गओ ॥४०० ॥ विच्छड्डेणं सोहण-दिणम्मि दिक्खोचितं तओ सूरी । पाढेइ पयत्तेणं सो वि हु एक्काए वाराए ॥४०१ ॥ गिण्हइ सुयमत्थं वा एवं थोवेहिं तेण दिवसेहिं । लक्खणमाई [52B]-विज्जा वसीकया 'सूरि-पासाओ ॥४०२ ॥ अह बप्पहट्टि खुड्डो सरीरचिताए निग्गओ बाहिं । वासारत्ते वरिसिउमाढत्तो जलहरो तत्थ ॥४०३ ॥ ता सो फुसण-भयाओ लोइय-देवहरय-दारदेसम्मि ।। झत्ति पविट्ठो अन्नो वि अप्पबीओ तहिं पत्तो सिरि-कन्नउज्ज-नयरा रूसेउं परिभवाओ निय-पिउणो । जसवम्म-राय-तणओ अम्मो नामेण वर-कुमरो ॥४०५। सो विय जल-संतत्थो चिट्ठइ जाव तत्थ ताव पेच्छेइ । तम्मि पसत्थि देवहर-कारयस्स तओ सो उ ॥४०६ । १. सूरी • ॥४०४। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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