Book Title: Prabandh Chatushtay Author(s): Ramniklal M Shah Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi AhmedabadPage 18
________________ प्रबन्ध - चतुष्टय सयमागओ स-ठाणे ठिओ य विहियासणेण पंगुरियं । जच्च 'पंडयं लुलंतं अलीय-निदाए तो ते वि ॥१०३ ।। पत्ता वसहि-दुवारं दणं लक्खिउं च पविसंति । सूरिस्स धरिसणत्थं कुक्कुङ-सदं करेमाणा ॥१०४॥ तो सूरिणा वि ताणं पडिधरिसण-सद्दमिच्छमाणेण । मेउं मेउं ति कओ विरालियाए सणो [18.B] तुरियं ॥१०५ ॥ तेहिं तओ नायमिणं दुद्धरिसो एस नमिय चलणेसु । . सूरिस्स ठिया पंडिय-गोट्ठीए तहा इमं पुट्ठो ॥१०६॥ पालित्तय कहसु फुडं सयलं महि-मंडलं भमंतेण । दिट्ठो सुओ ब्व कत्थइ चंदण-रस-सीयलो अग्गी ॥१०७॥ पहुणा भणियं दिट्ठो सुओ य निसुणेह अवहिया होउं । अणु य पमाणं पसिद्धं वन्निज्जतं मए तुब्भे ॥१०८॥ "अयसाभिओग-संदूमियस्स पुरिसस्स सुद्ध-हिययस्स । होइ वहंतस्स फुडं चंदण-रस-सीयलो अग्गी ॥१०९॥ पुण पुण जंपति तओ हिट्ठा ते निरुवमा जए कित्ती । हरहास-हार-धवला पालित्तयसूरि "वि[19.A]प्फुरइ ॥११० ॥ नाऊण जोग्गयं तो विहिया सद्धाण देसणा ताण । पव्वइया केइ तओ केई पुण सावया जाया ॥१११ ॥ एवं सूरी सव्वत्थ-सयल-कुसलत्तणेण खायजसो । वंदेउं सत्तुंजयमुज्जिताईणि तित्थाणि ॥११२॥ सिरि-मनखेडय-नयरे पत्तो तत्थ य विसेस-बुद्धीओ । जाओ कुसलो चङ-पाहुडेसु ताणि य इमाणीह ॥११३॥ जोणिपाहुडं पढमं निमित्तपाहुडमिहं भवे बीयं । तइयं विज्जापाहुडमिह तुरियं सिद्धपाहुडयं ॥११४॥ १. पडियं २. अलियं- ३. एसो ४. वयसा ० ५. विफुरइ ६. सद्धस्स Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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