Book Title: Prabandh Chatushtay
Author(s): Ramniklal M Shah
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 35
________________ लाहास ... पादलिप्तसूरि-कथानक मंतित्तणम्मि सो उण वीससियं जाणिऊण नरनाहं । भंडार-फेडणत्थं पयंपिओ धम्म-छम्मेण ॥२९१॥ पुव्व-सुकएण नरवइ संपज्जइ संपया इहं विउला । सा तुमए संपत्ता किंतु जइ संपयं 'चेव ॥२९२ ॥ देवहर-कूव-वावी-तलाय-दाणाइणा वरं सुकयं । अज्जेसि तओ जम्मंतरे वि लच्छी वरं लहिसि ॥२९३ ॥ धम्मव्वयं कुणंतस्स तस्स तव्वयणओ तओ कोसो । निट्ठिय-पाओ जाओ नरवाहण[38.B] राइणो तह य ॥२९४॥ भरुयच्छे वेढियम्मी पुरिसक्खय-कारओ भणावेइ । सिरि-सालिवाहण-निवो सामंतं जह तुमं मिलिओ ॥२९५ ॥ नरवाहण-नरवइणा मंती पभणेइ नो तुमं राया । होहि विवित्तो जेणं निव्वहई एस नरनाहो ॥२९६ ॥ अंतेउरियाभरण-व्वएण सोऊण तस्सिम भणियं । सिरि-सालिवाहण-निवो तत्थेव थिरो तओ जाओ ॥२९७ ॥ निद्धण चंगो नरवाहणो वि पलयं गओ तओ नयरं । सायत्तं काऊणं पइट्ठाणपुरे गओ रा . . . . . . . . ॥२९८ ॥ [ 39-40 अप्राप्य ] . . . . . . . . . . . . . [41.A] च्छ तं सूरी ।। पालित्तयाभिहाणं सिग्घं इइ वोत्तु सो रन्ना ॥२९९ ॥ मोक्कलिओ तओ सो गंतूणं कहइ कण्हङ-निवस्स । नियसामि-समाइ8 तेण वि आणंदिएण पहू ॥३०० ॥ पट्ठविओ निय-पुर-संघ-संजुओ नियय-दिन्न-परिवारो । पत्तो कमेण बाहिं पइट्ठाण-पुरस्स तो गंतुं ॥३०१ ॥ १. च्चेव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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