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विषयानुक्रमणिका
अध्याय - एक जैन चरितकाव्य परम्परा तथा नेमिनिर्वाण
१-९२ (क) उद्भव एवं विकास - काव्य का स्वरूप, काव्य के भेद, जैन चरितकाव्य सामान्य विशेषतायें, सातवीं शताब्दी से बीसवीं शताब्दी तक के जैन चरितकाव्यों का ऐतिहासिक दृष्टि से कालानुक्रमिक सिंहावलोकन | (ख) तीर्थकुर नेमिनाथ विषयक साहित्य - संस्कृत भाषा में लिखित साहित्य, प्राकृत भाषा में लिखित साहित्य, अपभ्रंश भाषा का साहित्य, हिन्दी साहित्य तथा राजस्थानी साहित्य, मराठी, कन्नड़, गुजराती आदि हिन्दीतर आधुनिक भारतीय भाषाओं का साहित्य (ग) नेमिनिर्वाण का कर्ता-अनेक वाग्भट, वाग्भट प्रथम : परिचय, कुल-परम्परा, सम्प्रदाय, निवास स्थान, स्थितिकाल अध्याय - दो :नेमिनिर्वाण की कथावस्तु
९३-११९ (क) मूल स्रोत-कथावस्तु का मूल स्रोत, उत्तरपुराण में वर्णित नेमिनाथचरित, हरिवंशपुराण में नेमिनाथचरित (ख) सर्गानुसार कथानक (ग) परिवर्तन - परिवर्धन अध्याय - तीन नेमिनिर्वाण का संवेद्य एवं शिल्प
१२०-१६३ (क) रस-रस की परिभाषा, शान्तरस : मान्यता और स्थान, अंगीरस शान्त, अंगरस - श्रृंगार - संयोगश्रृंगार एवं विप्रलम्भ श्रृंगार, रौद्र रस, वीर रस, करुण रस और अद्भुत रस (ख) महाकाव्यत्व-काव्य के भेद, छन्द के सद्भाव या अभाव के आधार पर, भाषा के आधार पर, विषय के आधार पर, स्वरूप के आधार पर महाकाव्य का स्वरूप एवं नेमिनिर्वाण में संघटना (ग) छन्द योजना- आर्या, शशिवदना, सोमराजी, अनुष्टुप्, विद्युन्माला, प्रमाणिका, हंसरुत, माद्यग, मणिरंग, बन्धूक, रुक्मवती, मत्ता, इन्द्रवजा, उपेन्द्रवजा, उपजाति (१४ भेद सहित) भ्रमर-विलसिता, स्त्री, रथोद्धता, शालिनी, अच्युत, वंशस्थ, द्रुतविलम्बित, कुसुमविचित्रा, स्रग्विणी, मौक्तिकदाम, तामरस, प्रमिताक्षरा, भुजंगप्रयात, प्रियंवदा, तोटक, रुचिरा, नन्दिनी, चन्द्रिका, मंजुभाषिणी, मत्तमयूर, वसन्ततिलका, अशोक-मालिनी, प्रहरणकलिका, मालिनी, शशिकलिका, शरमाला, हरिणी, पृथ्वी, शिखरिणी, मन्दाक्रांता, शार्दूलविक्रीडित, स्रग्धरा, चण्डवृष्टि, वियोगिनी, पुष्पितामा ।