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कि महाकवि वाग्भट ने सभी रीतियों एवं सभी गुणों का आश्रय लिया है। पंचम अध्याय में “ वर्णन वैचित्र्य" के अन्तर्गत देश, नगर, सूर्योदय, प्रातःकाल, चन्द्रमा, पर्वत, मन्दिर, स्त्री-पुरूष, पुत्रजन्म, जलक्रीडा, मदिरा पान का वर्णन किया है। षष्ठ अध्याय में नेमिनिर्वाण में प्रयुक्त दर्शन एवं संस्कृति का चित्रण है । सर्व प्रथम नेमिनिर्वाण में प्रयुक्त दर्शन का तत्पश्चात् उसमें प्रतिबिम्बित संस्कृति का विवेचन किया गया है। सप्तम अध्याय में नेमि-निर्वाण के ऊपर पूर्ववर्ती कवियों के प्रभाव तथा परवर्ती कवियों पर अवदान की चर्चा की गई है। अष्टम अध्याय में शोध-प्रबन्ध के निष्कर्ष को प्रस्तुत करते हुए नेमि-निर्वाण के इस समीक्षात्मक अध्ययन के अवदान की विवेचना की गई है। अन्त में शोध-प्रबन्ध में सहायक ग्रन्थों की अनुक्रमणिका को भी परिशिष्ट के रूप में जोड दिया गया है।
प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध को लिखने में मुझे जिन गुरुजनों एवं विद्वानों का सहयोग मिला है उनका मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ । इस प्रसंग में मैं सर्वप्रथम अपने निर्देशक डा० जयकुमार जैन के प्रति हृदय से कृतज्ञता प्रकट करता हूँ जिनके कुशल निर्देशन में यह शोध प्रबन्ध पूर्ण हो सका है। अत्यन्त व्यस्त रहते हुये भी उन्होंने शोध-प्रबन्ध के अन्तिम प्रारूप के संशोधन में बड़ी आत्मीयता एवं तत्परता दिखाकर शोध-निर्देशक के दायित्व को पूर्णरूप से निभाया है। तत्पश्चात् मैं विभागीय गुरुजनों - डा० रमेशकुमार लौ, डा० उमाकान्त शुक्ल एवं डा० सुषमा जी के प्रति आभारी हूँ जिनके परामर्श से शोध - विषय के चयन में पर्याप्त सहायता मिली तथा जिनका प्रोत्साहन निरन्तर मिलता रहा है। यह शोध-प्रबन्ध पूज्य पिता श्री बालकराम शर्मा एवं माता श्रीमती तारावती शर्मा के आशीर्वाद एवं प्रेरणा का ही फल है । अतः उनके प्रति प्रणत निवेदन करना मेरा परम कर्त्तव्य है ।
इस अवसर पर मैं पद्मश्री स्वामी कल्याणदेवजी महाराज के प्रति विनम्र रूप से प्रणत हूँ । स्वामी जी का आशीर्वाद ही इस शोध प्रबन्ध की पूर्णता में सहायक रहा है । अग्रज तथा अनुज भ्राता श्री अरविन्द जी और अवनीश तथा भाभी श्रीमती अरूणा जी एवं जीजा श्री धर्मवीरजी की प्रेरणा व सहयोग के लिए उनका भी मैं आभारी हूँ। इस शोध प्रबन्ध के टंकण में श्री सुशील जैन एवं श्री सुभाष जैन का सहयोग मिला है, उन्हें भी मैं धन्यवाद देता हूँ ।
अन्त में मैं पुनः सभी गुरुजनों, विद्वानों एवं पारिवारिक तथा आत्मीय सहयोगियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ, जिनका इस शोध-प्रबन्ध के लेखन में थोड़ा सा भी सहयोग प्राप्त हुआ है।
विनीत अनिरुद्ध कुमार शर्मा