________________
२]
मेरे दिवगत मित्रों के कुछ पत्र
महाराज की परम पवित्र सेवा में, बम्बई से लि० आपका चरण सेवक राजकुमार सिंह की अनेक सविनय वन्दना स्वीकृत करियेगा । यहाँ धर्म के प्रताप से कुशल है । आपके कुशल मंगल के समाचार लिखियेगा । विशेष मे लिखने का यह है कि Bhandarkar oriental Research Institute की वर्ष गाठ के दिन आपने २५०००) रुपये की रकम जैन साहित्य की वृद्धि के लिये सभा मे जाहिर की जो बोम्बे क्रानिकल समाचार पत्र मे पढ़कर अत्यानन्द हुआ । इस विद्यालय को अवश्य मदद देना चाहिये | अपनी जैन कौम मे ऐसी सस्थाओ की विशेष आवश्यकता है । क्योकि अपना साहित्य सागर बहुत विशाल है । पर इसकी जांच खील वरणी आदि नहीं हो रही है । उस महानुभाव को धन्य है जिसने ऐसी नादर सखावत ऐसे आवश्यकीय कार्य के लिये की। हम बहुत खुश होगे, अगर आप उन महाशय का नाम हमे बता सकें । जिससे इस कार्य में और उद्योग कर विशेष मदद के लिये भी प्रयत्न किया जा सके । हमे विश्वास है कि यह रकम पूरी भरा गई होवेगी । इस बारे मे सविगत हाल तुरन्त लिखियेगा । जैन साहित्य के लिये खास एक विंग मिल सकेगा या कैसे क्या बन्दोबस्त किया जायगा सो लिखिये । जैन धर्म और साहित्य का गवेषणापूर्वक पठन हो सके जैसा इन्तजाम करवाइयेगा । पत्रोत्तर - निहालचंद बिल्डिंग न्यु क्वीन्स रोड ( Newqueens Road) पते पर दीजिये । शुभ मिति श्रावरण विद ५ (स० १९७५) द: राजकुमार सिंह की विनयपूर्वक वंदना अवधारिएगा ।
(२)
Camp-Bombay P. O. No. 4 Dated 5-8-1918
श्रावण वदी १४ स० १६७५
सर्वगुण निधान परम उपकारी
श्री पूना शुभ स्थान सर्व श्रोपमा मुनि महाराज श्री जिन विजयजी महाराज की सेवा मे लिखी राजकुमार