Book Title: Mere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Author(s): Jinvijay
Publisher: Sarvoday Sadhnashram Chittorgadh

View full book text
Previous | Next

Page 197
________________ स्व. स्वामी श्री सत्यदेवजी के कुछ पत्र १६६ आप मेरे लिये अच्छे कमरे का प्रबन्ध जरूर करवा रखेंगे। भवदीय सत्यदेव Reaching Potsdam Station 5. 25 evening Sunday please come there and not at Fredric Strasse. Dated 10-9-29 C/o R. Simons, Lubecke Str. 15. Koln Germany. प्रिय मुनिजी-आपके दो पत्र-लेख-भी मिला । उसे मैं सरस्वती में छपने के लिये भेज रहा हूँ। अब मुझे यहाँ शहर में अच्छा कमरा मिल गया है और मैं जर्मन सीखने के लिये Borditz स्कूल में जाने की सोच रहा हूँ। आपका पत्र अभी मैंने पढा नही-पढ़ा नही गया । क्योकि पेंसिल की घसीट मेरी आँखो को कठिनाई में डाल देती है। शाम तक पढूगा। पर मैं यही समझा कि आप वलिन बुला रहे है । यदि एक सप्ताह पहले आप बुलाते तो मैं फोरन चला पाता। अब मै नये घर के मालिक को वचन दे चुका, आधा सामान रख चुका इसलिये महिने दो महिने तो वहाँ का रंग देखना ही पड़ेगा। मैं समझता हूँ जाड़े मे फिर आपके पास आ धमकूगा। वाकी आपका पत्र पढने पर सप्रेम स. देव Muni Jinvijaya Hindustan house Berlin cherlotten burg Unland, strasse 179

Loading...

Page Navigation
1 ... 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205