Book Title: Mere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Author(s): Jinvijay
Publisher: Sarvoday Sadhnashram Chittorgadh

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Page 202
________________ १७४ मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र (२) बम्बई प्रिय मुनि जी 26-8-47 पत्र पाकर वडी प्रसन्नता हुई। मिलने के लिए बहुत उत्सुक हूँ। भारतीय विद्या भवन गया था। पता लगा आप अहमदावाद में है। अभी तो युक्त प्रान्त बिहार को जा रहा हूँ पहली सितम्बर को। नवम्बर मे फिर बम्बई आने का विचार है। नही होगा तो मिलने के लिए अहमदाबाद तक का धावा मारूँगा। भारतीय विद्या भवन वालों ने विनय सूत्र के छापे फार्मों को देने के लिए कहा। मिल गया तो भूमिका लिख दूंगा । कुछ तुलना भी कर दूंगा । मेरा पता रहेगा, किताब महल जीरो रोड, इलाहाबाद । मैं यहाँ 17 सितम्बर को पहुँचा । पुत्र पत्नी को नही लाया। कम से कम दो साल भारत से जाने का विचार नही है। आपका राहुल सांकृत्यायन श्री मुनि जिनविजयजी नरेन्द्र भाई का वंगला एलिस ब्रिज, अहमदाबाद (गुजरात) किताब महल प्रयाग प्रद्धेय मुनि जी ३-२-४८ ___ मैं यहाँ आकर फिर घूमने चला गया था। "प्रमाण वात्तिक भाष्य" मुझे मिल गया है। भारतीय विद्या भवन के पते मे सन्देह हो गया है। इस पत्र का उत्तर आ जाएगा उसी समय ५००) भेज दिए जाएगे। साहित्य सम्मेलन की ओर से स्वयं भू के रामायण और महाभारत के संक्षेप (पाच २ सौ पृष्ठ) छाया सहित छापने का विचार हो रहा है। कापी करने का व्यय दिया जाएगा। क्या कापी करने का

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