Book Title: Mere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Author(s): Jinvijay
Publisher: Sarvoday Sadhnashram Chittorgadh

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Page 195
________________ राष्ट्रभाषा हिन्दी के अनन्य उपासक, देश भक्त, उत्साही परिवाजक स्वर्गीय स्वामी श्री सत्यदेव जी के कुछ पत्र c/o American Express Co. Kola Germany 4-1-29 प्रिय जिन विजय जी आपका पत्ता पाकर मैं वडा प्रसन्न हुआ। मैं विएना से चलने वाला था इस कारण पत्र न भेज सका। आप कृपया लौटती डाक से लिखिये कि आप बलिन मे कब तक रहेगे। मैं कार्य वशात् इग्लैंड जारहा हूँ। Koln मे मंगलवार लौट आऊँगा। अगला सप्ताह 13 जनवरी तक मैं यहाँ हूँ। यदि आप बलिन रहें तो मैं सोमवार 14 जनवरी को आपके पास पहुँचू । आपसे मिले बहुत दिन हो गये। उत्तर लौटती डाक से। सस्नेह Swami Satya Deva c/o American Express Koln, Germany (२) C/o Conrad Dobbelstein Burgmaner Strasse 31 Koln Dated 10-1-29 प्रिय मुनि जी मैं अपने चश्मे की वाट देखता था। वह माज विएना से आया है। अब मुझे बलिन मे कमरा चाहिये । आप राय जी को टेलीफोन

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