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मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र
कर्मोदय से ज्यादा खराव चल रहा है। हम यहां से सपरिवार मि. आश्विन सुद १३ को दो मास के लिये राजगह जा रहे है। यदि आप भी अवकाश करके कुछ दिन के लिए वहाँ आ जाये तो आशा है कि अवश्य स्वास्थ्य सुधर जायगा। कारण आजकल वहाँ की आव-हवा अच्छी है । ज्यादा क्या अर्ज करें। ___ आगे पट्टावली की कॉपी तैयार हो गई ज्ञात होकर प्रसन्नता हुई। कृपा पूर्वक अब उसे शीघ्र ही प्रेस में देने की व्यवस्था कीजिएगा।
आगे पुरातत्त्व मन्दिर कार्य अव ठीक से चल रहा है ज्ञात होकर अत्यानन्द हुमा। और लिखित साहित्य संग्रह के काम में मुझे मदद के लिये लिखा सो मैं अब भ्रमण करने में असमर्थ हूँ। जो कुछ सामग्री एकत्र किया हूँ वही मेरे जीवन में प्रकाशित कर सकू-ऐसी आशा भी नही कर सकता हूँ। प्रागे पुरातत्त्व मन्दिर मे म्युजियम की व्यवस्था कर रहे है सो ठीक ही है। इसके लिये भी पूरी फंड की व्यवस्था होनी चाहिये । मेरी तरफ से जो कुछ दे सकेंगे वह सहर्प भेंट करेंगे। आगे पट्टावलियो के हस्त लिखित पत्र जो आपके साथ गये थे वे भी कार्य समाप्ति पर भेज दीजिएगा। और योग्य सेवा लिखते रहे । जैसी स्नेह दृष्टि है वनाये रखें। ज्यादा शुभ स० १९८३ मि. पाश्विन सुद ११
दः पूरणचन्द की वंदना
(२५) P. C. Nahar M. A. B. L
48, Indian Mirror Street Vakil High Court
Calcutta Phone Cal 2551
21-2-1927
परम पूज्यवर प्राचार्य महाराज मुनि जिन विजय जी ।
सचालक साहित्य संशोधक समिति, महोदय की सेवा मे सविनय वन्दना के पश्चात् निवेदन है कि आपका ता० १५-२-२७ का कृपा पत्र प्राप्त हुआ। आप उद्योगी होकर जैन साहित्य सशोधक पत्रिका को