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पं. श्री गौरीशंकर, हीराचन्दजी ओझा के पत्र
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मे जैसलमेर गया था, परन्तु वही से बीमार होकर लौटा । अब मेरा स्वास्थ्य पहले से ठीक है । कुछ खासी की तकलीफ बनी हुई है सो आगा है कुछ दिनो मे ठीक हो जायगा।
वृद्धावस्था के कारण शरीर दिन प्रति दिन निर्बल होता जाता है। कुछ समय पूर्व राजपूताने से कुमार पाल का दान पत्र ( दो पत्रो पर')
और नाडोल के चौहानों का, जो कुमारपाल के सामंत थे, दो दान पत्र मिले है परन्तु पिछले पत्र बहुत बिगड़ी हुई दशा मे है और छापें पढ़ने योग्य नही बनती। कुमार पाल के दान पत्र की छापें इस पत्र के साथ भेजता हूँ। आप उनको अपने संग्रह मे रखिये मैं उनका संपादन 'एपिग्राफिया इडिका' मे करूँगा।
दूसरे ताम्र पत्र का कितनाक अंश पढा गया है, बाकी का पढना है, जो मूल ताम्रपत्र से ही स्वास्थ्य ठीक होने पर पढूगा । योग्य सेवा लिखावें।
आपका कृपाभिलाषी
गौरीशंकर ही. ओझा
(१४) म. म. राय बहादुर
अजमेर गौ ही. ओझा
२३ जनवरी, ३७
विद्वद्वरानगण्य परम श्रद्धास्पद श्रीमान् मुनि जी श्री जिनविजयजी महाराज के चरण सरोज मे गौरीशंकर हीराचन्द मोझा की प्रणति स्वीकृत हो । अपरच ।। आपका कृपा पत्र ता. १८-१-३७ का मिला। साथ मे पुरातन प्रबन्ध संग्रह तथा आचार्य श्री हेमचन्द्र सूरि की डॉ. बूलर लिखित जीवनी, दोनो अमूल्य ग्रन्थ भी प्राप्त हुये । "पुरातन प्रवन्ध सग्रह" आप जैसे बड़े ही परिश्रमी और खोजी विद्वान् द्वारा ही तैयार किया जा सकता था। इस ग्रन्थ द्वारा इतना ही नहीं, किन्तु प्रत्येक पुरातत्ववेत्ता एव प्राचीन इतिहास के प्रेमी के लिये अमूल्य खजाना भी उपस्थित किया है। इससे प्राचीन इतिहास की