Book Title: Mere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Author(s): Jinvijay
Publisher: Sarvoday Sadhnashram Chittorgadh

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Page 185
________________ प्रख्यात एपिग्राफिस्ट डा० हीरानंद शास्त्री के पत्र १५७ (१२) D.O. No. 208/28 Director of Archaeology Baroda State, Baroda, the 28 नवम्बर 1939 श्री मुनिवराः चिरकाल से न तो आपके दर्शन ही हुऐ और न ही कोई कुशल पत्र मिला। आजकल आप कहां विराजते हैं और क्या काम कर मुझे विज्ञप्ति पत्रों पर एक सचित्र संदर्भ छापना है श्री प्रवर्तक महाराज से कई एक पत्र मिले है। और स्थानो से भी। मैंने आज श्री पुज्य जिनचन्द्र जी सूरी जी को भी लिखा है । मास्टर लक्ष्मी चन्द्र, सुखलाल जी से भी आपके सहाय्य से कुछ मिल जाय, कहिये उन्हे । अपने पास कोई हो तो भेजें। आपको ओर क्या लिवू । मित्रता का नाता है। दर्शनाभिलाषि हीरानन्द शास्त्री श्री मुनि जिनविजयजी जैन मुनि मालूंगा जी० आई० पी० रेल्वे मा

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