Book Title: Mere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Author(s): Jinvijay
Publisher: Sarvoday Sadhnashram Chittorgadh

View full book text
Previous | Next

Page 184
________________ १५६ मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र कभी पाटण जाता हूँ प्रवर्तक मुनिजी के दर्शन कर ही लिया करता हूँ। इस बार नहीं कर सका । उसका दण्ड मिल गया । आपसे नहीं मिल पाया। मुझे भी थोड़े दिन में फिर वहाँ जाना है। आपको सूचना दूंगा। मुझे इस विज्ञप्ति पत्र का उत्तम फोटो लेना है, अपने लेख के लिये । जो मि. मेहता ने फोटो दिया है इतना सुन्दर नहीं। ___मैं पुण्य विजयजी से विज्ञप्ति पत्र लेकर फोटो तैयार करूंगा। और विज्ञप्ति पत्र वापस कर दूंगा। पुण्य विजय जी को लिख रहा हूँ। आप भी लिख दें। पुण्य विजयजी का मुझ पर विश्वास है, मेरा लेख तैयार है। अमेरिका में छपेगा। फेयर कापी एक दो दिन तक हो जायगी तभी तक फोटो बन जाय तो इकट्ठा भेज दूं। मैं जिस दिन पाटन जाऊँगा आपको तार दूंगा। मजुमदार जी को अपनी स्पीच हिन्दी मे लिख दी है आपका परिचय देकर। भवदीय हीरानन्द शास्त्री BARODA 11-6-38 श्री मुनिवराः आशा है मेरा पत्र आपको मिल मया होगा। मैं परसों सोमवार १३ जून को साढे १० पोने ११ बजे (Morning) को चलकर अहमदाबाद १४-४० बजे दोपहर को पहुँचूंगा। वहाँ से सांयकाल ४ बजे के लगभग पाटन की ओर चलूंगा। यदि आप अहमदाबाद हैं तो किसी को स्टेशन पर भेजने की कृपा करें। मैं उसके साथ आपके विहार मे आ सकेंगा। २-३ घण्टे बहुत समय है। शेष मिलने पर। विनीत हीरानन्द शास्त्री

Loading...

Page Navigation
1 ... 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205