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मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र (१०)
जुही, कानपुर
ताः ११ मार्च १९२२ श्री मतांवरेषु मुनिवर जिनविजय महोदयेषु !
निवेदन मिदम्-कृपा सूचक पत्र मिला। प्राचीन जैन लेख संग्रह, भाग २ की कापी भी मिली। कृतज्ञ हुआ। आपको मेरा स्मरण बना है यह मेरा सौभाग्य है । पुस्तक दिव्य है, बड़े ही महत्व की है। बड़े श्रम से आपने तैयार की है। अनेक प्राचीन ऐतिहासिक बातो पर प्रकाश डालने वाली है। धन्यवाद!
विनीत
महावीर प्रसाद द्विवेदी (११)
डाकखाना-दौलतपुर,
राय बरेली श्रीमान् मुनि जी महाराज,
कृपा करके इस लेख को पढ़ जाइये। इसमें जो शब्द या नाम आदि अशुद्ध हों उन्हें शुद्ध कर दीजिये। विचारों में जहां भ्रम हो, दूर कर दीजिए । उचित समझिये तो और भी अपने किसी मित्र को दिखा लिजिये । नि:संकोच संशोधन करके इसे मेरे पास लौटा दीजिए। पर शीघ्र।
पुस्तक-भंडारो पर आपका लेख कम्पोज हो गया। जनवरी की सरस्वती में निकलेगा। जेकोबी साहब के पत्र आपको लौटा दिये जायेगे । इसी पते पर लौटाइए।
आपका महावीर प्रसाद द्विवेदी