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मेरे दिवगत मित्रों के कुछ पत्र
(१३)
Patna, E.I.R.
आश्विन व.४,७६ मान्यवर,
मेरा कुछ-कुछ विचार है कि कान्फरेन्स में आऊँ । यदि आना होगा तो आपही के बंगले में ठहरेंगे । मैं आपसे मिलने के बाद एक दिन पूना में रहा। राजा कुणिक के जैन होने का कोई प्रमाण है ? ।
आपका __ काशीप्रसाद जायसवाल
Patna
30-12-17 मान्यवर मुनिजी, ____ मैं कलकत्ते गया था और वहां भांडारकरजी के यहां था । आपका पत्र यहाँ पढने को आज लौटने पर मिला । गुणभद्र ने उत्तर पुराण मे कल्कि का काल 502 A.C.---544 A. C. दिया है, वह अधिक सही मालुम पडता है। आपके नये ग्रन्थ मे पीछे से हाथ लगा। ऐसा जान पडता है । कल्कि को उसके जीतेजी लोग अवतार मानने लगे थे ऐसा जैन लेख चतुर्मुख से जान पडता है।
पणराष्ट्र समझ मे अभी नहीं आता। देखभाल करके लिखेंगे और दूसरे प्रश्नो का भी उत्तर देंगे। मैंने उत्तर पुराण की जगह त्रिलोक सार लिख दिया था। उसका समय आप क्या मानते हैं । पुराण में कल्कि का पुत्र नहीं लिखा है । जैन ग्रन्थों में इन्द्रपुर (इन्दौर) का राजा और उसके लडके का नाम अरिंजय लिखा है । कृपा कर बतलाईये कि श्वेताम्बर ग्रन्थो में कल्कि के बारे मे क्या लिखा हुआ है। मुझे त्रिलोक्य प्रज्ञप्ति के शक संवत और निर्वाण काल के बारे वाली गणना जानने की बहुत उत्कठा है । ग्रन्थ ऋण या अवतरण से उपकृत कीजिएगा।