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वाबू पूरणचन्द जी नाहर के पत्र
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स्वास्थ्य पर विशेष ख्याल रखिएगा मेरे योग्य सेवा लिखते रहियेगा। ज्यादा शुभ स० १९८३ मि० भाद्र पद सु०८
पूरणचन्द नाहर की वंदना पूनः
और वहाँ के समस्त सज्जनो से मेरी क्षामणा निवेदन कर दीजिएगा। कष्ट दिया सो क्षमा कीजिएगा।
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P. C. Nabar M. A. B. L. Vakil High Court Phone Cal. 255
48 Indian Mirror Street
Calcutta 17-10-1926
परम पूज्य आचार्य श्री मान मुनि जिन विजयजी महाराज की पवित्र सेवा मे पूरणचन्द नाहर का सविनय वन्दना अवधारिएगा । यहाँ श्री जिन प्रसाद से कुशल है महाराज के गरीर सम्बन्धी सुख ज्ञाता सदा चाहते हैं। अपरच कृपा पत्र आपका अाज दिन मिला वाँचकर समाचार ज्ञात हुए। उत्तर में निवेदन है आपने मेरी ओर से आपके पत्र का कोई उत्तर नही देने का जो इल्जाम दिया यह मेरे ही दुर्भाग्य का कारण है। आपको तो मेरे जैसे बहुत से शिष्यो को पत्र लिखने पडते हैं, परन्तु मैं तो आपका पत्र मिलना ही एक सौभाग्य की बात समझता हूँ। और उसका उत्तर देना प्रधान कर्त्तव्य मे गणना करता हूँ। मुझ से ऐसी त्रुटि होना असभवसा है अस्तु । राज गृह लेख अवश्य रजिस्टर डाक से पहुंचा था, परन्तु कोई पत्र उसके साथ न था न पीछे से मिला और जव रजिस्टर्ड था तो केवल आलस्य मे ही यथा समय उसकी प्राप्ति की सूचना नहीं लिखी थी। त्रुटि क्षमा योग्य है खैर । आपका स्वास्थ्य अभी तक ठीक नहीं हुआ है-जानकर खेद हुआ। इस पर लक्ष्य रखना भी कर्तव्य है। इधर मे मेरा स्वास्थ्य