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वाबू पूरणचन्द जी नाहर के पत्र
धर्म के प्रसाद से कुशल है, महाराज के शरीर सम्वन्धी सुख शान्ति मदा चाहते हैं, अपरंच समाचार वचिएगा।
· आगे आपकी सेवा मे कई पत्र भेजे परन्तु अद्यावधि कोई भी उत्तर पाने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ मुझ पर ऐसी अकृपा होने का कोई भी कारण समझ मे नही माता । भेजे हुए पट्टावली के फार्म सात यो ही एक वर्ष से पड़े हुए हैं जिसमे पुस्तक समाप्त होकर शीघ्र प्रकाशित हो ऐसा प्रवन्ध होना चाहिये ज्यादा क्या निवेदन करे । __ आगे यहां श्री पावापुरी जी मे दिगम्बरी लोगो ने केस किया है। श्वेताम्बरी मैनेजर की अपील, दिगम्वरी की अर्जी तथा आज तक की कार्यवाही की पुस्तक सेवा में भेजते है। अवकाश पर देख लेने की कृपा करेंगे। 'श्री केसरिया नाथ जी' के विभत्स कांड भी सवाद पत्रो से आपको विदित हो गया होगा। अपनी श्वेताम्बर समाज मे अविद्या
और फूट के कारण बहुत सी हानियां पहुंच रही है। आपको अधिक लिखने की आवश्यकता नही।
आगे श्री पावापुरी तीर्थ की रक्षा के निमित्त फंड की पूरी आवश्यकता हुई है। इस कारण सघ के मैनेजर बाबू धन्नुलाल जी हमें साथ लेकर गुजरात प्रान्त में जाने का विचार कर रहे है। यदि मेरा जाना हुआ तो महाराज को यथा समय सूचित करूंगा।।
आगे 'जैन लेख संग्रह' दूसरा भाग भी सम्पूर्ण छप गया है, सूची छप रही है। भूमिका के लिये कई वार निवेदन किया परन्तु आपको अवकाश कहाँ ? जैसे तैसे अब शीघ्र ही प्रकाशित करेगे। प्लेटस् भी छप रहे हैं । एक प्लेट सेवा में अवलोकनार्थ भेजते हैं। हमें अकेले सव काम करना पड़ता है। सव तरह की कठिनाइयां झेलनी पड़ती है, स्वास्थ्य भी ठीक नही है, जहां तक होता है त्रुटि नही रखते है । तीसरा खड भी शीघ्र ही छपवा लेने की इच्छा है। इसमें केवल जैसलमेर के लेख रहेगे। आपके पास वहाँ का लेख या मन्दिर संबंधी कोई notes रहे तो अवश्य कृपा कर भेजिएगा। चौथे खंड में मथुरा के लेखो का संग्रह छपवाने की इच्छा है। यदि आयु रही तो आपके