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मेरे दिवगत मित्रों के कुछ पत्र
लेख भी इसके साथ भेजते है, कारण आप वगला अंग्रेजी दोनो का अभ्यास अच्छी तरह किये है । डाक्टर ग्लेजेनाप से मिलना हुआ होगा । वे हम को भूले न होगे । हरमन जाकोबी साहेब भी मेरे यहाँ एक वार आये थे जिसको बहुत समय हुआ । उनको अब स्मरण न होगा डा० गेरिनो को ( La Riligion Djaine ) नाम की पुस्तक मैंने मंगवाई है । डा० ग्लेजेनाप की (DER, jainismes) पुस्तक भी मेरे पास है इन सभी के अंग्रेजी अथवा हिन्दी अनुवाद होने से ये अधिक उपयोगी होगे । ज्यादा शुभ
P. C Nahar M. A. B. L. Vakil High Court
Phone, cal. 255
(३२)
पूरणचन्द नाहर
Calcutta
18-3-1930
पूजनीय विद्वद्वर श्रीमान मुनि जिनविजय जी महाराज की सादर सेवा मे सविनय निवेदन :
आपका कृपा पत्र मिला, भाई बहादुर सिंहजी सिंघी के यहा प० सुखलाल जी सा० की प्राने की सूचना मिलते ही उनसे मिलने गया था तथा पडित जी कल स्वय भी मेरे यहाँ पधारे थे । आपके विषय में उनसे वार्तालाप हुई थी और मैने भी उनको निवेदन दिया है सो यथा समय उनके लोटने पर ज्ञात होगा ।
आगे मेरे ही दुर्भाग्यवश लेख संग्रह भाग तीन की आपकी सम्मति मुझे पहुँची नही । मैं खरतर गच्छ पट्टावली के कार्य के विषय मे केवल आपकी सेवा में इतना ही निवेदन करता हूँ कि मैंने पूर्व पत्र में एडटिंग या कापी बनाने का खर्च मुझसे लिया गया है ऐसा नही लिखा है । और न राजी हुआ ही था । श्रापको स्मरण होगा कि मैने मेरी स्त्री की तपत्या के उमणे मे यह पुस्तक भेंट देने की इच्छा प्रकट की ओर भी प्राचीन पट्टावली मिलाकर और साथ में आप की लेखनी
से सुशोभित भूमिका के साथ पुस्तक का कलेवर बढाकर प्रकाशित करने