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मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र यथा आज्ञा सब ठीक हो जायगा । जैसी आप आज्ञा देंगे उसी के अनुसार यथा समय सबै इन्तजाम आपके लिये ठीक रहेगा । अंतएवं आप अपनी स्वीकृति शीघ्र पत्र'या तार द्वारा सूचित करने की कृपा कीजियेगा। इस समय'आपकी उपस्थिति परमावश्यक है सो जानिएगा। मि० कार्तिक शुक्ला १४, १९८२ शुक्रवार'। ।
लि. पूरणचन्द की वन्दना आपका कृपा पत्र मिलने पर तार से खर्च का द्रव्य भेज देवेंगे। कि बहना सूज्ञेषु शभमिति। । ।
- पत्रांक नं० १३ पर नोट उपयुद्धृत बाबू पूरणचन्दजी नाहर का जो पत्र मुझे मिला था उसके उत्तर मे मैंने जो पत्र उनको लिखा था उसकी प्रतिलिपि मेरे पुराने पत्रो के सम्रह में मिल गई जो यहाँ पर उधृत की जाती है। " - बाबू श्री पूरणचन्जी नाहर ने मुझे एक विशेष विचार परामर्ग के लिये कलकत्ता आने का आग्रह पूर्वक निवेदन किया था। उस कार्य 'सम्बन्धी प्रश्न के विचारार्थ मेरे जो' खास विचार थे' मुझे वहाँ जाने के पहले उन्हे स्पष्ट रूप से निवेदन कर देना आवश्यक था । अत. मैंने जो उनको पत्र लिखा, उसकी प्रतिलिपि रखना आवश्यक समझ कर मैने वह करवाली थी। पाठको' को' विषय का ज्ञान कराने की दृष्टि से उक्त मेरा पत्र भी यहाँ उधृत किया जाता है।
-मुनि जिन विजय Ahmedabad
4-11-25 श्रीमान् विद्वद्वर धर्म प्रेमी सज्जनवर्य श्री बाबू पूरणचन्दजी योग्य
यथा योग्य आशीर्वाद अनन्तर निवेदन है कि आपका ता. ३० का राजगिर से लिखा हुआ पत्र मिला । समाचार विदित हुए। आपने