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मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र
जहाँ से मिल सकती हो लेकर भेज दीजिएगा । पहुँचने पर हम दो तीन रोज में ही उनको दिखाकर हिफाजत के साथ लौटा देवेंगे । और माने जाने का खर्च जो लगेगा सो देवेंगे यदि किसी कारण प्रति नही आ सके तो रिपोर्ट की पृष्ठ १४७ की चौथी लाइन से छटी लाइन तक नीचे लिखी हुई अंग्रेजी की मूल प्राकृत गाथा तथा उसकी टीका जो हो फक्त वह भी नकल मिल जाय तो बहुत उपकार होगा। अगर प्रति आ जाय तो अच्छी बात है, नही तो नकल तो अवश्य-अवश्य भेजिएगा। कष्ट दिया सो क्षमा कीजिएगा।
आगे आपने प्रेमी जी को यहां से (जैन हितैषी भेजने के लिए) पत्र दिया था सो आज तक मिला नहीं है सो उनको भेजने के लिये लिखिएगा।
आगे राजगिर प्रशस्ति की छाप आज दिन रजिस्ट्री डाकसे आपकी सेवा में भेजते हैं। इसका पाठ भी आपके अवकाश माफिक संशोधन करके भेजने की कृपा कीजिएगा। और साथ मे दोनो छापे भी वापिस भेजिएगा। कारण ब्लाक बनाना है। और योग्य सेवा हो सो लिखिएगा ज्यादा शुभम् सं० १९८२ पोष वदि १२
पूरणचद की वन्दना। Bhandarkar's report 1883, 1884 P• 147 Line 4th to 6th from top.
“The Tirthankaras who went about without the belongings of a Sthavira had such bodily piculiarities as rendered unnecessary those belongings which they had not.'
उक्त अंग्रेजी का मूल Text चाहे प्राकृत चाहे संस्कृत भी चाहिये । अत्यावश्यक है R/Ry रसिक लाल भाई के नाम से है प्राज पारसल नही लग सका सोमवार को रसीद (R/R) भेजेंगे।
P. Nahar