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मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र
संशोधन करके रविंग के साथ मुझे शीघ्र भेजने की कृपा कीजिएग । आगे पट्टावली के फर्मों यथा समय पहुँच गये होगे । श्रागे और समाचार पहली चिट्ठी मे लिख चुके है । मथुरा के लेखो के साथ एशियाटिक सोसायटी की एक संख्या रख आये थे, वह मिली नही वह भी तलाश करके भेजिएगा या और जो कुछ मिले कृपया वह भी भेजेंगे ।
आगे तीर्थ कल्प की प्रति रजिस्ट्ररी बुक पोस्ट से सोमवार को भेजेगे । और साथ मे कुछ कागज [सादे भेज देवेंगे सो आपके अवकाश पर किसी लहिया से उसकी नकल करा देने का कष्ट कीजिएगा । यहाँ नकल नही हो सको । जो कुछ खर्च पड़ेगा वह समाचार आने पर तुरन्त भेज देवें । या नकल होने पर वी. पी. से भी भेजे तो कोई हर्ज नही है । और मेरे योग्य सेवा लिखें। आगे हाल मे एसियाटिक सोसायटी से 'स्मृति' का केटलॉग 'पार्ट थी' प्रकाशित हुआ है। कीमत रुपया १५) | चाहिये तो एक कॉपी - लेस मेम्बरस डिस्काउण्ट लेकर वी. पी. से भेज देवेंगे । पुस्तक की कई पार्ट जो प्रागे प्रकाशित हुई थी, वह शायद आपके यहाँ सब हैं । पत्रोत्तर दीजिएगा ।
ज्यादा शुभ मिति फाल्गुन सुदी ८ सं० १९८२
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ता० २१-२-०६
तीर्थ कल्प की प्रति यहाँ आज दिन लिखने वाले को दिया है सो नकल होने पर भेजेंगे । विलम्ब के लिये क्षमा कीजिएगा ।
विनीत पूरणचन्द नाहर की वन्दना
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P. C. Nahar, M. A. B. L. Vakil High Court Phone Cal. 255
48, Indian Mirror Street Calcutta 15-4-1926