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बाबू श्री पूर्णचन्दजी नाहर के पत्र
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Rajgir
30-10-1925 परम् पूज्यवर श्रीमानाचार्य मुनि जिनविजयजी महाराज की पवित्र सेवा मे लिखी पूरणचन्द नाहर की सविनय वन्दना अवधारिएगा। अपरंच मैं श्री नाकोडाजी जैसलमेर ढुलैवा, देलवाडा आदि स्थानो की यात्रा करता हुआ श्री पावापुरी जी से यहां आया हूँ। यहाँ पर आज कल दिगम्बरियो के साथ जो मुकदमा चल रहा है उसका कमीशन का काम जारी होने के कारण मुझे भी यहां ठहरना पडा । इस मुकदमे के विषय मे कलकत्ते के वाबू रायकुमार सिंहजी जो यहां के 'मैनेजर' हैं आपको पेश्तर हाल लिख चुके हैं। मैने भी आपको पश्चिम जाने के पेन्तर पत्र लिखा था। उसका उत्तर मुझे कलकत्ते पहुंचने पर प्राप्त होगा। यहां पर इस काम के लिए इण्डियन म्यूजियम कलकत्ता के सुपरिन्टेंडेंट श्री राय बहादुर रामाप्रसाद चन्दा आये हुए है । अपने जैन मूर्ति तत्त्व खास श्वेताम्बरी दिगम्बरियो की मूर्तियो के विषयो मे बहुत से प्रश्न ऐसे उठ रहे हैं कि जिनका समाधान आपके ऐसे बहुदर्शी विद्वान् के सिवाय नही किसी से हो सकता है । मौका ऐसा है कि यहा राजगृह मे मौर्य, गुप्त, पालवशियो के समय से लेकर प्राचीन मूर्तियां हैं । ऐसे गहन विपयो का पुरातत्व की दृष्टि से विवेचन आगे नहीं हुआ है। इधर दिगम्बरी लोग भी पूरा जोर दे रहे हैं कि वे लोग प्राचीन थे और प्राचीन मूर्तियां भी उनही की है इत्यादि बहुत सी बातें विवाद ग्रस्त हैं ।
मैं ऐसे मौके पर आपकी उपस्थिति अत्यावश्यक समझता हूँ। राय वहादुर साहव एक सप्ताह मे यहाँ से कलकत्ता के लिए रवाना हो जाएंगे । अतएव उनके पहुंचते ही आप यदि कलकत्ता पधारने की कृपा कर सके तो वडा अनुग्रह होगा। यदि एक सप्ताह के लिए आप कलकत्ता आ जाय तो वडा काम होगा, क्योकि विना आपके इस विषय मे दूसरा कोई सहायक नही है । आपके रेल खर्च इत्यादि का प्रवन्ध